उज्जैन। आज से ठीक 25 वर्ष पहले दिनांक 1 जुलाई 1999 को मध्यप्रदेश शासन के अव्यवहारिक निर्णयों से ग्राम नागझीरी देवास रोड़ पर उज्जैन में स्थित अपने समय का एशिया के सबसे बड़े सोयाबीन प्लांट को बंद कर उसके 248 कर्मचारियों को आज तक वेतन भुगतान नहीं किया है और उन्हें बेरोजगार कर दिया गया।
- लंबे समय से त्रस्त अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तीन दिन पहले कीर्ति रावल, उज्जैन के नेतृत्व में सोयाबीन प्लांट के कर्मचारियों का चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल माननीय मुख्यमंत्री महोदय से भोपाल स्थित निवास पर मिला था। मुख्यमंत्री जी ने विस्तार से ध्यान पूर्वक प्लांट के कर्मचारियों की समस्याओं को सुनकर उनके शीघ्र समाधान के लिए आश्वस्त किया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय तिलहन विकास योजना अंतर्गत मध्यप्रदेश शासन और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एन डी डी बी) आणंद के बीच हुए करार के अनुसार त्रिस्तरीय सहकारिता (संघ, क्षेत्रीय संघ और समिति जैसा कि दुग्ध संघ में होता है) ‘अमूल पैटर्न’ पर सन् 1985 में एन डी डी बी द्वारा ग्राम नागझौरी देवास रोड उज्जैन में अपने समय के एशिया के सबसे बड़े 400 मेट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का सोयाबीन संयत्र लगाया गया। सन् 1987 में सोयाबीन प्लांट में उत्पादन शुरू हुआ। शासन व डेरी बोर्ड के करार के अनुसार यह संयत्र क्षेत्रीय तिलहन संघ उज्जैन के सुपुर्द करना था। लेकिन अपरिहार्य कारणों से ऐसा नहीं हो पाया।
- जनवरी 1994 में मध्यप्रदेश शासन व एन डी डी बी के जिम्मेदारों के बीच बैठक में निर्णय लिया गया था कि – “क्षेत्रीय संघ उज्जैन का तिलहन संघ भोपाल में विलय करते हुए उसके समस्त दायित्व और संपत्तियां तिलहन संघ को सौंप टी जाए एवं क्षेत्रीय संघ के कार्यक्षेत्र की समस्त प्राथमिक तिलहन समितियां तिलहन संघ से संबद्ध होकर क्षेत्रीय संघ के कर्मचारियों की सेवाओं का तिलहन संघ में संविलियन कर दिया जाए। “
खेद है कि बैठक में लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन नहीं हो पाया और मध्य प्रदेश शासन द्वारा दिनांक 12 सितंबर 1996 को क्षेत्रीय संघ उज्जैन को परिसमापन में लाया गया। शासन द्वारा समय समय पर तिलहन संघ को निर्देशित किया जाता रहा कि सोयाबीन प्लांट उज्जैन के परिसमापन की कार्रवाई पूर्ण होने तक उसके कर्मचारियों को वेतन का भुगतान तिलहन संघ करे।
मध्यप्रदेश शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए दिनांक 30 जून 1999 को तिलहन संघ, भोपाल द्वारा क्षेत्रीय संघ के कर्मचारियों का वेतन भुगतान बंद कर उनकी सेवाएं परिसमापक क्षेत्रीय संघ उज्जैन को सौंप दी गई। तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन व एन डी डी बी के आपसी विवाद के कारण सोयाबीन संयत्र उज्जैन के 248 अधिकारीऔर कर्मचारी विगत 25 वर्षों से बेरोजगार हैं और रोजी रोटी, आर्थिक व पारिवारिक समस्याओं से आज तक जूझ रहे हैं। 36 कर्मचारी दिवंगत हो चुके हैं, लगभग 100 कर्मचारी अपनी सेवाकार्य अवधि समाप्त कर चुके हैं। मात्र 17 कर्मचारी शासन के विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
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चूंकि समस्या क्षेत्रीय विधायक माननीय डाक्टर मोहन जी यादव के कार्यक्षेत्र की है और सौभाग्य से आप मुख्यमंत्री भी हैं। प्लांट कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष ने माननीय मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराया गया कि ग्राम नागझीरी स्थित सोयाबीन प्लांट की भूमि विक्रय की प्रक्रिया शासन स्तर पर विचाराधीन है। उल्लेखनीय है कि ग्राम नागझीरी स्थित कुछ निजी भूमि भी क्षेत्रीय संघ के सोयाबीन प्लांट के लिए खरीदी गई थी, को विक्रय कर क्षेत्रीय तिलहन संघ सोयाबीन प्लांट उज्जैन के कर्मचारियों के समस्त स्वत्व का भुगतान किया जाए। इससे शासन पर भी कोई आर्थिक बोझ नहीं आएगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्लांट के प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री महोदय ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही शासन स्तर पर सोयाबीन प्लांट के कर्मचारियों के हित में निर्णय । उनके बकाया वेतन आदि का भुगतान किया जायगा।