दमोह । दमोह कोतवाली थाना क्षेत्र के बड़ा पुल पर संचालित अवैध पटाखा फैक्ट्री में 21 अक्टूबर को ब्लास्ट हुआ था। इसमें फैक्ट्री मालिक सहित 6 महिलाओं की मौत हो गई थी और 13 महिलाएं गंभीर रूप से घायल हुई थीं। साढ़े तीन माह बाद इस ब्लास्ट मामले की जांच में प्रशासन ने किसी को दोषी नहीं पाया है। एक प्रकार से सभी को क्लीन चिट दे दी गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि मृतक के परिजनों को और घायलों के परिजनों को आज तक किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं मिला और घायलों के परिवार के लोग कर्ज उठाकर अपने परिजनों का इलाज कर रहे हैं। करीब एक महीने तक प्रशासन के ने इस मामले की जांच की, लेकिन दोषी किसी को नहीं पाया गया। आज भी यह पीड़ित मुआवजा के लिए परेशान हो रहे हैं।
कलेक्टर से लगाई मुआवजे की गुहार
करीब 4 महीने से मृतकों और घायलों के परिजन मुआवजे की आस में बैठे हुए हैं, लेकिन शासन की ओर से उन्हें किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं मिला। मंगलवार को मृतकों के परिजन और घायल महिलाएं कलेक्टर के पास आवेदन लेकर पहुंचीं और मुआवजा देने की गुहार लगाई। घायलों में सुशीला चक्रवर्ती, मोहनी रैकवार, आरती चक्रवर्ती, विमला प्रजापति, नेहा अहिरवार, सुनीता खटीक, रचना अहिरवार ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर बताया कि 4 महीने से कर्ज लेकर वह इलाज कर रहे हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का कोई मुआवजा शासन, प्रशासन की ओर से नहीं दिया गया। वह कई बार जिला प्रशासन को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई।
इन लोगों की हुई थी मौत
अवैध पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में मृतकों में फैक्ट्री संचालक अभय गुप्ता के साथ रिंकी करी, अपूर्व खटीक, उमा कोरी, प्रेमलता चक्रवर्ती, रामकली कोष्टी और विनीत राजपूत शामिल है। मृतकों के परिजन भी मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर के पास पहुंचे और गुहार लगाई कि साहब कुछ तो मुआवजा दिलवा दिया जाए।
मैजिस्ट्रेट जांच कराई गई थी
बता दें कि कलेक्टर के निर्देश पर मामले की मैजिस्ट्रेट जांच कराई गई थी। प्रशासन में अपनी जांच रिपोर्ट में बताया था कि पटाखा फैक्ट्री रूप से कई वर्षों से संचालित हो रही थी। जिस कारण से शासन के द्वारा किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि ब्लास्ट के बाद जिन लोगों की मौत हुई और जो लोग घायल हुए उनके परिजनों को किसी प्रकार का कोई मुआवजा नहीं मिला और यह फाइल बंद हो गई। धमका इतना तेज था कि करीब एक किलोमीटर तक इस धमाके की आवाज गूंजी थी। साथ ही आसपास बने करीब एक दर्जन मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे।