शहर में कोरोना संक्रमण बढ़ने से भेल दशहरा मैदान पर 30 दिसंबर से शुरू हुआ भोजपाल महोत्सव मेले का निरस्त कर दिया गया है। इससे मेले में अलग-अलग सामग्रियों की दुकानें लगाने वाले 300 व्यवसायियों व छोटे-छोटे विक्रेताओं से जमा कराई गई एडवांस राशि मेला समिति वापस करेगी।
भेल जनसेवा समिति के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि बीते छह सालों से भेल दशहरा मैदान पर मेले का आयोजन किया जा रहा है। कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार ने मेलों पर रोक लगा दी। सरकार का निर्णय सही है, लेकिन जिन्हें मेले लगाने की पूर्व में अनुमति दी गई थी, उन्हें कोरोना गाइडलाइन पालन करते हुए जारी रहने दिया जाना चाहिए। मॉल्स और बाजारो में रेाजाना हजारों की भीड़ हो रही है, वो क्यों बंद नहीं किए जा रहे? मेले में दुकानें लगाने वाले व्यवसायियों व विक्रेताओं से दो-दो हजार हजार रुपये एडवांस राशि ली थी। हर दिन के हिसाब से दुकानदारों से पैसे लेने की बात तय हुई थी। मेले का आयोजन दो फरवरी तक किया जाना था, लेकिन कोरोना के कारण मेला नौ दिन ही चल सका। इससे बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। एक महीने 300 व्यवसायियों व विक्रेताओं को रोजगार मिलता।
शहरवासियों को मेले के माध्यम से एकजुट करने और मेले लगाने की परंपरा को बनाए रखने के लिए उद्देश्य से मेले का आयोजन किया जा रहा था। रोजाना निश्शुल्क कोरोना टीकाकरण भी करा रहे थे, लेकिन कुछ लोगों की बार-बार शिकायतों के कारण मेले को निरस्त करना पड़ा। इधर मेले में ग्वालियर से आए गर्म कपड़ों के विक्रेता अशोक वर्मा ने बताया कि सोचा था कि एक महीने में अच्छा व्वसाय हो जाएगा। ठंड में लोग गर्म कपड़े खरीदेंगे। अब मेला बंद होने से सब चौपट हो गया। पूरी मेहनत मिट्टी में मिल गई। वहीं काफी की दुकान लगाने वाले दिनेश पाल ने बताया कि ठंड के दिनों में लोग काफी पीते हैं। मेले में दुकान लगाई, लेकिन मेला बंद होने से नुकसान हो गया। एक महीने का रोजगार छिन गया।