पुरुषों के मुकाबले 54% महिलाओं में जीवन शैली संबंधित बीमारियां

‘स्वच्छ इंदौर अब स्वस्थ इंदौर’ के पायलेट प्रोजेक्ट के तहत अभी तक शहर में 13,495 लोगों की जांच हुई है, जिसमें पता चला कि पुरुषों के मुकाबले 54 फीसद महिलाओं में जीवनशैली संबंधित बीमारियां है।

शहर में एक लाख लोगों की जांच का लक्ष्य

सेंट्रल लैब की संचालक डा. विनिता कोठारी के मुताबिक ‘स्वच्छ इंदौर अब स्वस्थ इंदौर’ प्राेजेक्ट के तहत इंदौर में 15 अगस्त के पहले तक एक लाख लोगों की जांच करने का लक्ष्य रखा है। इंदौर की कुल आबादी के हिसाब से 18 वर्ष से अधिक उम्र की करीब पांच फीसद आबादी का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना है। इस योजना के तहत लोगों की ब्लड शुगर, काेलेस्ट्राल, क्रेटीनीन, एसजीपीटी, प्रोटीन, एल्बुमिन सहित अन्य मेडिकल जांच की जा रही है। इसके पश्चात जिन लोगों में डायबिटिज, कोलेस्ट्राल, हृदय, किडनी संबंधित बीमारियों को पता चल रहा है। उन्हें चिकित्सकों के माध्यम से दवाएं व उपचार भी उपलब्ध करवाई जाएगी। इलाज के तीन माह बाद उनका पुन: स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।

14 हजार निगम कर्मचारियों की जांच का लक्ष्य

इस प्रोजेक्ट के तहत अभी नगर निगम के सफाईकर्मियों अन्य सामाजिक संगठनों व संस्थाओं के लोगों की जांच की गई है। इसके अलावा आने वाले दिनों में कलेक्टाेरेट, पुलिस व औद्योगिक संगठनों के कर्मचारियों की भी जांच की जाएगी। इंदौर नगर निगम द्वारा 14 हजार सफाई कर्मचारियों की जांच का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से अभी तक 4236 लोगों की जांच हुई है।

प्रायलेट प्रोजेक्ट में सामने आई जानकारी

  • लक्ष्य- 1 लाख व्यस्क
  • जांच हुई- 13,493

नगर निगम

  • लक्ष्य- 14 हजार व्यस्क कर्मचारी
  • जांच हुई- 4236
  • जीवनशैली संबंधित बीमारी- 48.73 प्रतिशत
  • डायबिटिज: 12.34 प्रतिशत
  • कोलेस्ट्राल: 28.40 प्रतिशत
  • क्रेटेनीन: 2.41 प्रतिशत
  • ब्लड प्रेशर: 10 प्रतिशत
  • कर्मचारी- शिक्षक समूह
  • जांच हुई- 957 व्यस्क
  • जीवनशैली संबंधित बीमारी- 37 प्रतिशत
  • डायबिटिज: 8.67 प्रतिशत
  • कोलेस्ट्राल: 15.77 प्रतिशत
  • क्रेटेनीन: 3.40 प्रतिशत

बीमारी होने पर बचाव उपचार से ज्यादा बेहतर है

भारत में 30 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व हृदय रोग संबंधित बीमारी होती है, जो उन्हें खुद भी पता नहीं होती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद प्रत्येक व्यक्ति को साल में एक बार इन बीमारियों की पहचान के मुख्य जांचे करवाना चाहिए। किसी भी बीमारी के होने पहले बचाव उपचार से ज्यादा बेहतर हैं। ‘स्वच्छ इंदौर अब स्वस्थ इंदौर’ अभियान के तहत अब तक जितने लोगों की जांच हुई है। उसमें यह सामने आया है कि जिन लोगों की जीवनशैली, व्यायाम व खान-पान अनियमित हैं। उनमें ही इस तरह की बीमारियों के लक्षण दिखाई दे रहे है। कई लोगों को स्वस्थ थे लेकिन जांच में पता चला कि वे डायबिटिज या कोलेस्ट्राल का शिकार होते है। कोविड के दौरान जब लोगों की जांच हुई थी तब कई लोगों को पहली बार इस तरह की बीमारियों के होने का पता चला था।

– डा. संजय लोंढ़े, पूर्व उपाध्यय आईएमए मप्र

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