कृषि कानून खराब नहीं थे। इन्हें वापस लेने की जगह केंद्र सरकार को कुछ सुधार करके लागू करना था। ये देश के उन छोटे किसानों के हित में थे, जो अपनी उपज मंडियों तक नहीं ला पाते हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह लाभकारी मूल्य दिया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश कृषि और किसानों के हित में काम करने वाला प्रदेश है। यह बात भारतीय किसान संघ के नवनिर्वाचित महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने रविवार को अखिल भारतीय अधिवेशन के समाप्ति के मौके पर कही।
मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि हम किसान आंदोलन में इसलिए साथ नहीं थे, क्योंकि उनकी मांग सही नहीं थी। कृषि कानून छोटे किसानों के हित में थे। उसमें भुगतान की सुनिश्चितता के लिए बैंक गारंटी और व्यापारियों का पंजीयन किए जाने की बात रखी थी, ताकि व्यापारी यदि भाग जाए तो किसान को भुगतान हो जाए। किसान आंदोलन के नाम पर किसानों को बदनाम किया गया। अब आगे जब भी आंदोलन होगा तो किसान उसमें शामिल होने के लिए सोचेगा और डरेगा। हमारे देश में कई फसलें होती हैं, पर आंदोलन में उसकी चिंता नहीं की गई। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून की मांग पर कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं। जब किसान को कोई भी सामग्री समर्थन मूल्य पर नहीं मिलती है तो फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों होना चाहिए। लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य पर खरीद होनी चाहिए। इस मांग को लेकर कई सालों से आगे बढ़ रहे हैं। किसान को अब धान और गेहूं का मूल्य दो हजार रुपये प्रति क्विंटल मिलने लगा है पर हम संतुष्ट नहीं हैं।
मध्य प्रदेश में हो रहा है अच्छा काम
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में किसान और कृषि हित में अच्छा काम हो रहा है। फसल बीमा का भुगतान भी यहां बेहतर है। गुजरात में तो फसल बीमा बंद कर दिया गया है। सर्वे को लेकर कुछ समस्याएं हैं। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वहीं, संगठन मंत्री साईं रेड्डी ने कहा कि हमारा किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। हमने कभी यह नहीं कहा कि किसे वोट देना है और किसे नहीं। यह हमारा काम भी नहीं है, पर किसान आंदोलन में शामिल लोग क्या कर रहे हैं, यह सबके सामने है।
पूर्वोत्तर राज्यों पर ध्यान दे सरकार
अधिवेशन के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में कृषि का आधारभूत ढांचा विकसित करने और मंडी व्यवस्था प्रारंभ करने का प्रस्ताव पारित किया गया। मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि वहां कृषि उत्पादों के विपणन की समस्या है, जिसे दूर करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की सरकार से केंद्र सरकार चर्चा करे। साथ ही एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन की परिभाषा रासायनिक खाद, कीटनाशक का उपयोग को नियंत्रित करना शामिल किया जाए। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए जैविक कृषि को प्रोत्साहित किया जाए।