इंदौर के मुकाबले देवास में सीएनजी या पीएनजी आठ रुपये प्रति किलो सस्ती मिल रही है। गैस की यह महंगाई वाहनों से ज्यादा उद्योगों पर भारी पड़ रही है।
दरअसल गाड़ियां तो देवास सीमा के पंप पर जाकर सस्ती सीएनजी भरवा लेती है लेकिन पाइप से गैस की आपूर्ति ले रहे उद्योगों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है। देवास की दर पर कम दाम पर सीएनजी देने की मांग के साथ उद्योगों के प्रतिनिधि मंडल ने वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव से मंगलवार को मुलाकात की।
एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया के नेतृत्व वाणिज्यिक कर आयुक्त जाटव से मिले उद्योगपतियों के दल ने कहा कि शहर के उद्योगों को न केवल ऊंची दरों पर सीएनजी मिल रही है बल्कि उस पर लगने वाले टैक्स का लाभ भी नहीं मिल रहा। दरअसल सीएनजी वैट के दायरे में आती है। इस पर सरकार 14 प्रतिशत वैट वसूल रही है। जीएसटी लागू होने के बाद से वैट का इनपुट क्रेडिट भी उद्योग हासिल नहीं कर पाते। इस महंगी गैस से उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ रही है। उत्पाद के महंगा होने से प्रतिस्पर्धा में भी मध्य प्रदेश के उद्योग परेशानी अनुभव कर रहे हैं।
सीएनजी को जीएसटी में लिया जाए – डफरिया ने आयुक्त को अवगत कराया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए बायलर से संचालित होने वाले उद्योगों को जिला प्रशासन द्वारा सीएनजी में परिवर्तन करने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन सीएनजी की ऊंची दरें एवं सीएनजी में परिवर्तन करने में प्लांट की लागत उद्योगों पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रही है। वहीं कोयला व लकड़ी की सस्ती लागत पड़ने से भी सीएनजी में उद्योगों को आने में कठिनाई हो रही है। डफरिया ने कहा कि यदि 14 प्रतिशत वैट का लाभ उद्योगों को मिले तो उन्हें कुछ राहत मिलेगी। इसके लिए सीएनजी को वैट के बजाय जीएसटी में लिया जाए ताकि उद्योगों का नुकसान न हो।
अन्य राज्यों के मुकाबला मप्र में महंगी – उद्योगपति दिलीप देव व सुनील व्यास ने कहा कि मध्य प्रदेश में अन्य पड़ोसी राज्यों के मुकाबले महंगी सीएनजी मिल रही है। एसोसिएशन की ओर से जल्द ही एक विस्तृत प्रतिवेदन बनाकर आयुक्त को दिया जाएगा। एसोसिएशन के आमंत्रण पर आयुक्त ने एसोसिएशन में उद्योगपतियों के साथ चर्चा के लिए जल्द आने की भी स्वीकृति दी। प्रतिनिधिमंडल में उद्योगपति प्रकाश जैन, तरुण व्यास, अनिल पालीवाल, सतीश मित्तल, अमित धाकड़, मनीष चैधरी, डॉ. शरद डोसी, हरि अग्रवाल, अशोक डांगी शामिल थे।