उज्जैन में संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, लेकिन हालात यह हैं कि अस्पताल की लिफ्ट दो साल से बंद पड़ी हुई है। नतीजतन मरीज को अटेंडर कंधे या फिर सीढ़ियों पर घसीटकर वार्ड में ले जाने को मजबूर है। बावजूद जनप्रतिनिधी सिर्फ आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन कर रहे। वहीं अधिकारी जल्द नई लिफ्ट लगने का दावा कर रहे है, लेकिन वह जल्द कब आएगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।.
उज्जैन में 450 बेड के दो मंजीला माधवराव सिंधिया जिला अस्पताल में आठ वार्ड पहली मंजिल पर है। इनमें हड्डी,ईएनटी, बर्न,ईएनटी व बच्चों का दो सर्जिकल सहित 250 बेड पहले माले पर है। खास बात यह है कि ऑपरेशन थिएटर भी पहली मंजिल पर है। गंभीर मरीजों को पहले माले पर पहुंचाने के लिए अस्पताल में लिफ्ट तो लगी है, लेकिन वह दो साल से बंद पड़ी हुई है। नतीजतन अटेंडर को अपने मरीजों को कंधों पर ले जाना पड़ता है या फिर मरीज घसीटते हुए सिड़ी चढऩे को मजबूर है। मरीजों की स्थित को देख अस्पताल स्टॉफ जि मेदारों को करीब 50 शिकायत कर चूका है। लेकिन मंत्री,सांसद व विधायक जल्द लि ट सुधारने का आश्वासन देतेे रहे है। वहीं अब सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा का दावा कर रहे है कि जल्द नई लिफ्ट लग जाएगी, लेकिन कब इसकी जानकारी उनके पास भी नहीं है। इस संबंध में मंत्री डॉ. मोहन यादव,सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन से चर्चा का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
जान लेवा साबित हो सकती है लापरवाही
अस्पताल के कर्मचारी व अधिकारियों ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताया कि बड़ी दुर्घटना होने पर एक साथ दर्जनों मरीज आते है तो लिफ्ट नहीं होने पर उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ले जाना काफी मुश्किल होता है। गंभीर मरीज घसीटकर या परिजनों के सहारे वार्ड में जा पाते है। इसे देखते हुए मरीज व स्टॉफ लगातार शिकायत करता आ रहा है। बावजूद लिफ्ट नहीं लग पा रही।
सीएमओ को पता नहीं,आरएमओ ने लिखे पत्र
इस संबंध में सीएमओ डॅा. संजय शर्मा ने कहा कि लिफ्ट के लिए भोपाल प्रस्ताव भेज रखा है। शेष जानकारी सिविल सर्जन को है। आरएमओ डॉ. जितेंद्र शर्मा के अनुसार अधिक मरीज आने पर परेशानी आती है इसलिए अधिकारियों को अब तक आठ पत्र लिख चूके है,जनप्रतिनिधियों को भी शिकायत कर चूके है, लेकिन छह माह से आजकल में लिफ्ट लगने का चल रहा है।
38 लाख मंजूर, समय तय नहीं
सीएमओ डॉ. वर्मा ने बताया कि लि ट नहीं लगने तक स्टॉफ को मरीजों का स्ट्रेचर पर ले जाना चाहिए। कर्मचारियों के मना करने पर शिकायत करे। उन्होंने कहा कि लिफ्ट की प्रशासकिय स्वीकृति मिलने पर उज्जैन विकास प्राधिकरण को 38.50 लाख रुपए पहुंच गए होंगे। प्राधिकरण ने मशीन मंगवा ली है ओर जल्द सिविल वर्क शुरू हो जाएगा। तीन माह में लिफ्ट लगने की संभावना है।