महाकाल मंदिर में सुबह से ही रंगपंचमी का उल्लास दिखाई दिया। पंडे, पुजारी और श्रद्धालु रंगों से सराबोर दिखे।
गर्भगृह से नंदी हॉल तक केसरिया रंग उड़ाया गया। सबसे पहले भगवान महाकाल को टेसू से बना रंग लगाया। भस्मारती के दौरान श्रद्धालुओं पर रंग फेंका गया। रंगपंचमी के लिए सोमवार को ही पुजारियों ने तीन क्विंटल टेसू के फूलों से प्राकृतिक रंग बना लिया था।
महाकाल के आंगन में होली उत्सव के बाद शहरवासियों ने रंग पर्व की शुरुआत की।
यहां रंग तरंग की मस्ती में युवा रंग व गुलाल से होली खेलते नजर आए। शहर के हर मोहल्ले में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर रंगपंचमी का पर्व मना रहे थे। कोरोनाकाल के दो साल बाद इस बार रंगपंचमी पर लोगों का उत्साह देखने लायक है। शाम को महाकाल मंदिर, सिंहपुरी, कार्तिक चौक तथा भागसीपुरा से पारंपरिक गेर निकाली जाएगी। श्रद्धालु बैंड बाजे व ढोल ढमाकों के साथ शौर्य व विजय के प्रीतक ध्वज निशान लेकर निकलेंगे।