उज्जैन। शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया ने बताया कि चिकित्सालय के शिशु एवं बालरोग विभाग के अंतर्गत 11 अप्रैल सोमवार को 71 बच्चों ने स्वर्णप्राशन का लाभ लिया। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एक आदर्श जीवन शैली के साथ स्वास्थ्य संरक्षण के लिये अब एक महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है। इसी के चलते धन्वन्तरि चिकित्सालय में अपने शिशुओं को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के लिये माता-पिता ने अपने बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया।
स्वर्णप्राशन कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वेद प्रकाश व्यास एवं डॉ. गीता जाटव ने विस्तार से बताते हुए कहा कि शासन के निर्देशानुसार अब भविष्य में भी स्वर्णप्राशन कार्यक्रम हर माह होगा। आयुर्वेद विशेषज्ञों की देखरेख में स्वर्णप्राशन कराने से शारीरिक एवं मानसिक विकास होकर बच्चे बार-बार बीमार नहीं होते और प्राय: स्वस्थ रहते हैं। हजारों वर्ष पहले ऋषि महर्षियों ने बच्चों को स्वर्ण भस्म के साथ अन्य औषधियों को मिश्रित कर शहद और घी के साथ प्रयोग करने का विधान बताया है। आयुर्वेद पर धीरे-धीरे आम जनता का विश्वास बढ़ रहा है। इसी कारण इस प्रकार की योजनाओं को जनहित में प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है।
चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. ओ.पी. शर्मा तथा आर.एम.ओ. डॉ. हेमंत मालवीय के निर्देशन में कर्मचारी श्रीमती प्रतिमा जोशी तथा अन्य कर्मचारियों सहित इंटर्न डॉक्टर्स और बी.ए.एम.एस. के छात्र/छात्राओं ने पूरे उत्साह से स्वर्णप्राशन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न होने में सहयोग प्रदान किया। उक्त जानकारी प्रधानाचार्य डॉ. जे.पी. चौरसिया तथा मीडिया प्रभारी डॉ. प्रकाश जोशी ने दी।