युवा चेहरे के रूप में पहचाने जाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को पहली बार खुले मंच से खुद के बुढ़ापे की तरफ जाने की बात कह डाली। अशोकनगर के तुलसी पार्क परिसर में 42.23 करोड़ के विकास कार्यों के शिलान्यास व लोकार्पण समारोह में उन्होंने कहा कि मैं थोड़ा जवान दिखता हूं, लेकिन मैं भी अब बुढ़ापे की तरफ जा रहा हूं। अब 20 साल पहले जैसी स्थिति नहीं रही। फिर भी पूरी क्षमता के मुताबिक परिश्रम करने से पीछे नहीं हटता।
सिंधिया के इस बयान पर दिग्विजय सिंह ने चुटकी ली। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- ज्योतिरादित्यजी आप 52 साल में बुढ़ापा महसूस कर रहे हैं। मैं और कमलनाथजी 75 साल में भी बुढ़ापा महसूस नहीं करते।
ज्योतिरादित्य जी आप ५२ साल में बुढ़ापा महसूस कर रहे हैं?
मैं और कमलनाथ जी ७५ साल में भी बुढ़ापा महसूस नहीं करते!!
1/2थोड़ा जवान दिखता हूं, लेकिन 20 साल पहले जैसी स्थिति नहीं रहीhttps://t.co/Mmk5gdHmeV
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 21, 2022
कांग्रेस के फॉर्मूले ने बढ़ा दी बुजुर्ग नेताओं की चिंता
उदयपुर के चिंतन शिविर में 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र वालों को देने के फैसले से प्रदेश कांग्रेस में अभी से गुणा-भाग शुरू हो गया है। इस फॉर्मूले का 100% पालन हुआ तो 2023 के विधानसभा चुनाव में ही 115 टिकट और उसके बाद लोकसभा चुनाव में 14 टिकट 50 साल से कम उम्र वाले नेताओं को मिलेंगे। विधानसभा चुनाव में इस आधार पर टिकट दिए गए तो 47 मौजूदा विधायकों का पत्ता कट जाएगा। जबकि 48 विधायक 50 साल से कम उम्र के हैं, जिनके टिकट में उम्र का बंधन आड़े नहीं आएगा।
पचास का फॉर्मूला टिकटों के साथ संगठन के पदों पर लागू किया जाएगा तो प्रदेश के पदों के साथ जिलों में भी आधे टिकट ही बदले जा सकते हैं। प्रदेश संगठन में इसको लेकर चर्ची चल रही है कांग्रेस के संगठन महामंत्री चंद्रप्रभाष शेकर की उम्र भी 75 वर्ष से अधिक है। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश जैन, राजीव सिंह और जेपी धनोपिया जैसे चेहरे भी हैं, जिन्हें पद रहने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
60-70 वाले विधायक
60 से अधिक उम्र के विधायकों व नेताओं की संख्या 19 हैं। इनमें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (75) के पास अहम जिम्मेंदारी है। उनके ही नेतृत्व में कांग्रेस 2023 के चुनाव में उतर रही है। कांतिलाल भूरिया, डॉ. गोविंद सिंह, आरिफ अकील और पीसी शर्मा के बारे में भी कहा गया है कि ये उनका आखिरी चुनाव है। सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधौ, केपी सिंह भी 65 के करीब हैं।