जन्म के 7 दिन बाद मां-बाप ने छोड़ा इंदौर में स्टूडेंट के साथ शादीशुदा लिव इन में रहा, बच्ची हुई तो अपनाने से इनकार

इंदौर में सात दिन की मासूम को उसे जन्म देने वाली मां ने ही अपनाने से मना कर दिया। नवजात को बाल कल्याण समिति ने अपना लिया। इस बच्ची को 19 साल की छात्रा ने जन्म दिया है। वह एक साल से इंदौर में ही नौकरी करने वाले युवक के साथ लिव इन में रह रही थी। लिव इन में रहने के दौरान वह गर्भवती हो गई। जब उसके पार्टनर को पता चला तो उसने बच्ची को अपनाने से मना कर दिया। छात्रा ने उसके खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया है। उसे ये भी नहीं पता था कि युवक शादीशुदा है।

इंदौर के महू में रहने वाली छात्रा को उसके परिजन डिलीवरी के लिए एमवाय अस्पताल लाए। यहां उसने एक सप्ताह पहले एक बच्ची को जन्म दिया। परिजनों ने बताया कि छात्रा अभी 19 साल की है। बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही है। अभी उसकी शादी भी नहीं हुई है। जिसके बाद डॉक्टरों ने इसकी जानकारी तत्काल बाल कल्याण समिति को दी।

महू से अपडाउन करता है आरोपी
काउंसिलिंग के लिए बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन की टीम अस्पताल पहुंची। पहले तो छात्रा व उसके परिजन बात करने से मना करते रहे। काउंसिलिंग के बाद उन्होंने बताया कि पिछले साल छात्रा की दोस्ती विजय (26) पिता कानूराम दागसे निवासी धनगांव (खंडवा) से हुई थी। युवक पीथमपुर की एक कंपनी में नौकरी करता है। वह महू से अपडाउन करता था। महू में ही उसने किराए का मकान ले रखा था। दोस्ती के बाद दोनों लिव इन में रहने लगे। इसी दौरान छात्रा गर्भवती हो गई। उसने यह बात अपने परिवार से काफी समय तक छुपाकर रखी। इस बीच युवती को यह भी पता चला कि विजय पहले से ही शादीशुदा है।

हम बच्ची को नहीं ले जाएंगे
जन्म देने के बाद बच्ची को छात्रा ने साथ ले जाने से इनकार कर दिया। छात्रा के परिजनों ने भी उसे नहीं स्वीकारा। परिजनों ने कहा वे केवल अपनी बेटी को साथ में ले जाना चाहते हैं। उधर, युवक व उसके परिवार ने भी बच्ची को अपनाने से मना कर दिया।

पार्टनर पर दर्ज कराया रेप का केस
छात्रा ने युवक के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कराया है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने विजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दूसरी ओर नवजात बच्ची को बाल कल्याण समिति ने एक संस्था को सौंपा है, जहां उसकी हालत अच्छी है।

बच्ची को जिंदगी देने के लिए चाइल्ड लाइन की अहम भूमिका
बच्ची के पैदा होने और उसे युवक-युवती द्वारा अपनाने से मना करने तक चाइल्ड लाइन सजग रही। चाइल्ड लाइन ने अपने स्तर पर ऐसी संस्था का चयन किया जहां बच्ची को किसी तरह की परेशानी न हो। इस दौरान अस्पताल से युवती को डिस्चार्ज कराने, उसके और परिजन की सहमति के साथ बच्ची का मेडिकल कराया। इसके बाद अन्य प्रक्रियाओं को पूरा किया और फिर उसे संस्था को सौंपा। इसके बाद लगातार बच्ची को लेकर फॉलोअप भी लिया जा रहा है। वह पूरी तरह ठीक है।

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