किसानों को आधी कीमत में मिलेगी हरियाणा की 2 मुर्रा भैंस, एक बार में देती है 15 लीटर दूध

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प्रदेश के किसान हरियाणा की मुर्रा भैंस पालकर उसका दूध-घी बेचकर मुनाफा कमा सकेंगे। सरकार लघु सीमांत किसानों से केवल 50 फीसदी राशि लेने के बाद दो मुर्रा भैंस उपलब्ध करवाएगी। ये भैंसे हरियाणा से मंगवाई जाएंगी। शुरुआत में प्रदेश के तीन जिलों रायसेन, विदिशा और सीहोर में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है। इसके बाद पूरे प्रदेश में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

मप्र में पहली बार भैसों के लिए इस तरह का प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा रहा है। वर्तमान में ऐसा प्रोजेक्ट तेलंगाना में संचालित है। एक मुर्रा भैंस 12 से 15 लीटर दूध रोजाना देती है। पशुपालन विभाग के अनुसार दो भैंसों की कीमत करीब ढाई लाख रुपए होगी। इसमें से एससी-एसटी के किसानों के लिए 75 प्रतिशत राशि सरकार भरेगी और शेष 25 फीसदी राशि किसान भरेगा। सामान्य वर्ग के किसान को भैंस पालने के लिए 50 प्रतिशत राशि देना होगी, शेष बची आधी राशि सरकार भरेगी।

तीन साल में भैस मरी तो दूसरी मिल जाएगी

हितग्राही द्वारा भैंसों काे गर्भवती करने के लिए सेक्स सार्टेड सीमन का उपयोग किया जाएगा, जो मुर्रा बुल का होगा। इसकी खासियत यह होगी कि इसके माध्यम से फीमेल भैंस ही पैदा होंगी, जिससे संबंधित हितग्राही की मिनी डेयरी बन जाएगी। इसलिए भैंस को पांच साल रखना अनिवार्य किया गया है। अगर तीन साल में भैंस मरती है तो किसान को दूसरी भैंस मिलेगी।

ताकि दूध मिलता रहे एक भैस 5 महीने की प्रेग्नेंट और दूसरी का एक बच्चा रहेगा

इस व्यवस्था में संबंधित किसान को दो मुर्रा भैंस दी जाएगी। इसमें एक भैंस लगभग 5 महीने की प्रेगनेंट रहेगी, जबकि दूसरी भैंस का करीब एक महीने का बच्चा रहेगा। यानी दो में से एक भैंस दूध देती हुई मिलेगी। भैंस का प्रेग्नेंसी पीरियड 10 माह का होता है। इस तरह से ऐसा क्रम बनेगा कि एक भैंस लगातार दूध देती रहेगी।

छह महीने का चारा भी मिलेगा, तीन साल का बीमा

मप्र पशुधन विकास निगम के एमडी डॉ. एचबीएस भदौरिया ने बताया कि संबंधित किसानों को भैंस को खिलाने के लिए छह महीने का दाना-चारा भी मिलेगा, ताकि उसे किसी तरह की समस्या न हो। उन्होंने बताया कि दो भैंसे ढाई लाख रुपए में आएंगी।

इसमें इनका बीमा, ट्रांसपोर्ट और चारा भी शामिल है। इसमें से किसान को केवल 62,500 रुपए देना होंगे। शेष 1,87,500 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। इससे दूध उत्पादक किसानों की आय बढ़ेगी। वे इसका घी-दूध बेच सकेंगे। यह प्रोजेक्ट अगस्त से शुरू हो सकता है।

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