दाे दिन पहले राजधानी की छाेटी झील में नेशनल ड्रेगन बाेट चैंपियनशिप खत्म हुई। इसमें मेजबान मप्र ओवरऑल चैंपियन बना। मप्र काे चैंपियन बनाने में छाेटी झील का याेगदान भी कम नहीं है। इसी झील में भाेईपुरा के मछली पकड़ने वालाें की 3 बेटियों वंशिका बाथम, सानिया बाथम और कुमकुम बाथम ने 17 मेडल जीते हैं।
यह तीनाें बचपन से ही अपने-अपने पिता के साथ तालाब जाती थीं, उसी दाैरान इन्हाेंने पानी से खेलना सीख लिया था। बाकी का काम यहीं पर चलने वाले एडवेंचर स्पाेर्ट्स क्लब ने पूरा कर दिया। यहां के काेच कुलदीप ने इन्हें सालभर के भीतर कयाकिंग-केनाेइंग, ड्रेगन बाेट और सलालम की ऐसी बारीकियां सिखाईं की तीनाें ने 12 से ज्यादा मेडल जीत डाले।
कुमकुम- भाई के साथ नाव चलाना सीखा
कयाकिंग-केनाेइंग करते हुए 11 महीने ही हुए हैं। इसके बाद भी ड्रेगन बाेट और सलालम जैसे साहसिक खेल में कुल 9 नेशनल मेडल अपने नाम किए। छाेटी झील में कुमकुम ने 1 गाेल्ड, 4 सिल्वर व 1 ब्राॅन्ज जीता है। वे कहती हैं कि पिता मुकेश बाथम अच्छे स्विमर हैं। पहले छाेटी झील में मछली का काम करते थे। हमारे घर की नाव है, इसलिए मैंने भाई के साथ नाव चलाना सीख लिया था। अभी मैं 12वीं की पढ़ाई कर रही हूं।
सानिया- नाव चलाने और बोट चलाने में अंतर है
एक साल हुआ है वाॅटर स्पाेर्ट्स सीखते हुए। छाेटी झील में हाल ही में 7 मेडल जीते हैं। इसमें 2 गाेल्ड, 4 सिल्वर व 1 ब्राॅन्ज शामिल हैं। सानिया बताती हैं कि पिता नरेश बाथम प्राइवेट जाॅब करते हैं। साथ ही डाॅग रीडर हैं। पहले छाेटी झील में मछली का काम करते थे। मैं 10वीं की छात्रा हूं। मैंने बचपन में ही पिता के साथ जाकर पानी से खेलना सीख लिया था। नाव चलाना व कयाकिंग-केनाेइंग बाेट, सलालम बाेट चलाना अलग-अलग है।
वंशिका- पानी से पुश्तैनी नाता, इसलिए यह खेल भाया
वंशिका काे भी इस खेल में अभी सालभर ही हुआ है और एक गाेल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। सराेजिनी नायडू काॅलेज से ग्रेजुएशन कर चुकीं वंशिका के पिता सुनील बाथम का 4 साल पहले बीमारी से निधन हाे गया। वंशिका कहती हैं कि पहले पापा छाेटी झील में मछली पकड़ने का काम करते थे। पानी से पुश्तैनी नाता है, इसलिए यह खेल मुझे खूब भाता है। आगे देश के लिए खेलना चाहूंगी और पदक जीतना चाहूंगी।
कोच कुलदीप कीर बोले-एडवेंचर क्लब शुरू किए सालभर हुआ है। क्लब ने छाेटी सी अवधि में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। तीनाें बाथम बेटियाें के अलावा अंजली चंदना ने 3 गाेल्ड, 3 सिल्वर व रागिनी मालवीय ने 3 सिल्वर, 1 ब्राॅन्ज जीता है। इस टूर्नामेंट में हमारे खिलाड़ियाें ने 27 पदक जीते हैं।