प्रदेश सरकार ने आम जनता की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार ने सीएम हेल्पलाइन की शुरुआत की थी। उसका मकसद था कि लोगों को किसी भी विभाग से कोई परेशानी हो तो घर बैठे शिकायत कर सके और उस शिकायत का निराकरण की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के अधिकारी तय की थी। लेकिन सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निराकरण करने में अधिकारी रुचि नहीं लेते, जिसके कारण जिला प्रदेश में शिकायतों के निराकरण में 21वें नंबर पर है।
हर महीने सीएम हेल्पलाइन पर विदिशा जिले की लगभग 7000 शिकायतें होती है। जिनके निराकरण करने की एक समय सीमा निर्धारित होती है, लेकिन अधिकारी रुचि नहीं लेते, जिसका खामियाजा कलेक्टर को भुगतना पड़ता है। प्रदेश स्तरीय बैठक में सीएम और मुख्य सचिव के सामने जिले की किरकिरी होती ही है और सवालों का जवाब जिलाध्यक्ष को देना पड़ता है।
जहां तक रेटिंग की बात करें तो मई माह में विदिशा जिला सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण करने के मामले में टॉप फाइव में था। जिसके बाद उसका प्रदर्शन बरकरार नहीं रहा और जून माह में 11 वे नंबर पर आया तो वहीं अब जुलाई में और खराब प्रदर्शन करते हुए 21वें नंबर पर आ गया है।
लापरवाह अधिकारियों का रोका वेतन
सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण के मामले में कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने नाराजगी जताते हुए लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जुलाई का वेतन रोकने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने बताया कि प्रदेश स्तरीय सूची में पूर्व विदिशा जिला बी ग्रेड सूची में शामिल है। 12 विभागों के अधिकारियों की लापरवाही के चलते विदिशा जिला 21वें नंबर पाया है।
100 से ज्यादा शिकायतों वाले विभाग यह वह विभाग है जिनका शिकायतों के निराकरण का प्रदर्शन जिले की रेटिंग में अहम रोल रहता है।
नगर पालिका – 726 शिकायतें राजस्व विभाग – 647 शिकायतें खाद एवं फूड विभाग – 641 शिकायतें विद्युत मंडल – 576 शिकायतें पीएचई – 475 शिकायतें पुलिस प्रशासन – 437 शिकायतें फसल बीमा योजना संबंधित – 369 शिकायतें पंचायती राज की 236 शिकायतें ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास योजना की 221 शिक्षा विभाग 184 शिकायतें स्वास्थ्य विभाग 183 शिकायतें महिला बाल विकास विभाग 197 शिकायतें जिला चिकित्सालय 155 शिकायतें श्रम विभाग में संबल योजना की 140 शिकायतें मनरेगा की 125 और बैंक की 117 शिकायतें सहित कई विभाग ऐसे हैं जिनकी 100 से कम शिकायतें होती हैं।