उज्जैन के भरतपुरी स्थित श्रीकृष्ण इस्कॉन मंदिर में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। मंदिर प्रांगण में 60 किलो चावल से गिरिराज गोवर्धन का 5 फीट लंबा पर्वत तैयार किया गया। भव्य गोवर्धन पर्वत का प्रतिरूप बनाने में लगने वाली सामग्री भक्तों द्वारा बनाकर लाई गई । इस दौरान 56 भोग में हलवा, सब्जियां, फल, मिठाइयों व अन्य प्रसाद सामग्री से भगवान श्री श्री राधा-कृष्ण जी को महाभोग अर्पित किया गया। इसके बाद दोपहर 12:15 पर आरती के बाद गाय माता का पूजन कर सभी श्रद्धालुओं में प्रसादी वितरण किया गया।इस्कॉन मंदिर में बुधवार को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया गया। वृन्दावन की भूमि की तरह यहां परिक्रमा की गई। बताया कि पौराणिक कथाओं में द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के घमंड को तोड़कर उनके प्रकोप से समस्त गोकुलवासियों की रक्षा की थी। इसके बाद इंद्र को अपने किए पर पछतावा भी हुआ था। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से इसके लिए माफी भी मांगी। तब से हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। यह प्रकृति प्रेम और उसके संरक्षण का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
4 लाख के वस्त्र और गोवर्धन की पूजा
इस्कॉन मंदिर के PRO पंडित राघव दास ने बताया कि भगवान गोवर्धन पूजा और अन्नकूट भोग चढ़ाने के लिए मंदिर आने वाले भक्तों का सिलसिला सुबह 10 बजे से शुरू हो चूका था। इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण का 4 लाख रुपए से बने वस्त्र से विशेष शृंगार किया गया। वरिष्ठ भक्तों द्वारा विशेष कीर्तन करने के दौरान आरती की गई। इस्कॉन मंदिर में गाय से जुड़ी गोवर्धन पर्वत की रंगोली भी बनाई गई। विशेष तौर गाय को सजाकर मंदिर के चारों और परिक्रमा के बाद गो पूजन और गौ माता की महाआरती की गई। गिरिराज गोवर्धन परिक्रमा के बाद भंडारा प्रसाद रखा गया है। हर साल की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।