जैविक खाद से चमक रही है किसानों की फसल, कम लागत में मिल रहा है ज्यादा लाभ स्मार्ट एग्री कार्यक्रम के तहत वर्मी कम्पोस्ट से निर्मित कर रहे हैं देसी खाद

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आगर मालवा दुर्गाशंकर टेलर


आगर-मालवा जिले के किसान अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए अब जैविक खाद की ओर बढ़ रहें हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है जिले की आगर ब्लॉक के ग्राम नरवल निवासी ईश्वर यादव। लगभग 15 बीघा जमीन के मालिक ईश्वर यादव अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट के माध्यम से जैविक खाद निर्मित कर रहें है। सोलीडरीडाड संस्था द्वारा उन्हें वोडाफ़ोन आइडिया के सी.एस.आर के स्मार्ट एग्री कार्यक्रम के तहत वर्मी बैग उपलब्ध कराए गए थे, साथ ही वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित करने की पूरी विधि भी बताई गई थी। इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपने खेत में 05 वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित की है। ईश्वर यादव अब पूरी तरह से जैविक खाद का ही उपयोग कर रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने सोयाबीन की कटाई की है, जिसमें उन्होंने मात्र वर्मी कम्पोस्ट से प्राप्त जैविक खाद का उपयोग किया है। ईश्वर यादव को 02 बीघा जमीन में 08 क्विंटल सोया का उत्पादन प्राप्त हुआ है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 03 क्विंटल अधिक है। इस बार भी उन्होंने गेहूं की 05 बीघा खेती में, 09 बीघा संतरे के बगीचे में और 01 बीघा गेंदे के फूल की खेती में मात्र वर्मी कंपोस्ट से प्राप्त जैविक खाद ही उपयोग में लिया है। इतना ही नहीं लगभग 25 क्विंटल खाद ईश्वर यादव बेच भी चुके हैं, जिससे उन्हें राशि रू. 37500 की आमदनी भी प्राप्त हुई है। ईश्वर यादव ने अपने बगीचे में जैविक खाद के अतिरिक्त वर्मी वाश का छिड़काव भी किया है जिससे फल और फूल की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि हुई है। ईश्वर यादव बताते हैं कि वर्तमान में जैविक खाद की उपयोगिता को समझते हुए इसकी मांग भी बढ़ रही है। आस-पास के किसान उनसे वर्मी कंपोस्ट की खाद खरीद रहें हैं।
सोलीडरीडाड संस्था के महाप्रबंधक श्री सुरेश मोटवानी बताते हैं कि “स्मार्ट एग्री कार्यक्रम के तहत जिले में बड़ी संख्या में किसानों को वर्मी कंपोस्ट के माध्यम से जैविक खाद बनाने के लिए वर्मी बेड और अन्य साधन उपलब्ध कराए गए हैं। ईश्वर यादव और भूरी बाई अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक किसान वर्मी कंपोस्ट अपनाने के लिए प्रेरित हों”।
जिले के बड़ोद ब्लॉक के गाँव उमरपुर निवासी भूरी बाई मालवीय अपने खेत में रासायनिक यूरिया खाद का उपयोग करना बंद कर चुकी हैं। उनका परिवार अब सिर्फ वर्मी कंपोस्ट में निर्मित जैविक खाद का उपयोग अपने खेत में कर रहा है। भूरी बाई मालवीय के खेत में इस वर्ष गेहूं की बुआई में 100 प्रतिशत जैविक खाद का उपयोग हुआ है। साथ ही गेहूं की बुआई भी प्लांटर तकनीक से की गई है, जिसमें गेहूं के बीज की मात्रा लगभग आधी हो गई है।आभार बद्रीलाल मालवीय ने माना

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