अंतरराष्ट्रीय Archives - BHAVISHY DARPAN NEWSPAPER https://bhavishydarpannews.com/?cat=340 Mon, 04 Dec 2023 06:57:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 सूर्यकुमार को दूसरी बॉल पर मिला जीवनदान:अंपायर को फिर लगी बॉल, मैक्डरमॉट का मिसटाइम सिक्स 98 मीटर दूर गया; टॉप मोमेंट्स https://bhavishydarpannews.com/?p=33500 https://bhavishydarpannews.com/?p=33500#respond Mon, 04 Dec 2023 06:57:14 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=33500 भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5वें टी-20 में 6 रन से हराकर सीरीज 4-1 के अंतर से जीत ली। बेंगलुरु में टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव को दूसरी बॉल पर जीवनदान मिला। अर्शदीप सिंह ने आखिरी ओवर में 9 रन डिफेंड किए, वहीं अंपायर को इस मुकाबले में भी बॉल लगी। ऑस्ट्रेलिया के बेन मैक्डरमॉट […]

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भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5वें टी-20 में 6 रन से हराकर सीरीज 4-1 के अंतर से जीत ली। बेंगलुरु में टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव को दूसरी बॉल पर जीवनदान मिला। अर्शदीप सिंह ने आखिरी ओवर में 9 रन डिफेंड किए, वहीं अंपायर को इस मुकाबले में भी बॉल लगी।

ऑस्ट्रेलिया के बेन मैक्डरमॉट का मिसटाइम सिक्स 98 मीटर दूर गया। आखिरी ओवर में अंपायर ने वाइड बॉल नहीं दी तो कंगारू टीम के कप्तान मैथ्यू वेड गुस्सा हो गए और टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मुकेश कुमार ने 2 गेंदों पर 2 विकेट लेकर मैच पलटा।

1. सूर्यकुमार को दूसरी बॉल पर मिला जीवनदान
टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव को अपनी दूसरी ही बॉल पर जीवनदान मिल गया। पांचवें ओवर में बेन ड्वारशस ने ऑफ स्टंप के बाहर फुलर लेंथ बॉल फेंकी। सूर्यकुमार ड्राइव करने गए लेकिन बॉल टॉप एज लगकर पॉइंट की दिशा में चली गई। यहां बेन मैक्डरमॉट ने हवा में डाइव लगाकर कैच लेने की कोशिश की, बॉल उनके हाथ से टकराई लेकिन कैच पूरा नहीं हो सका।

जीवनदान के वक्त सूर्यकुमार 1 रन पर ही बैटिंग कर रहे थे। वह इसका फायदा नहीं उठा सके और 5 रन बनाकर ड्वारशस का ही शिकार हुए। उनका कैच भी मैक्डरमॉट ने ही पकड़ा।

सूर्यकुमार यादव को दूसरी ही बॉल पर जीवनदान मिला लेकिन वह 5 ही रन बनाकर आउट हो गए।
सूर्यकुमार यादव को दूसरी ही बॉल पर जीवनदान मिला लेकिन वह 5 ही रन बनाकर आउट हो गए।

2. मैक्डरमॉट का मिसटाइम सिक्स 98 मीटर दूर गया
ऑस्ट्रेलिया के बेन मैक्डरमॉट ने 98 मीटर लंबा सिक्स लगाया, लेकिन इस बॉल पर गेंद टॉप एज लेकर बाउंड्री के बाहर गई। चौथे ओवर की चौथी बॉल पर मैक्डरमॉट आगे निकलकर आए, आवेश खान ने शॉर्ट पिच गेंद फेंक दी। मैक्डरमॉट ने तेजी से बैट घूमाया और बॉल मिड-विकेट की दिशा में स्टेडियम की छत से टकराई।

मैक्डरमॉट का सिक्स 98 मीटर लंबा रहा, वह सीरीज का सबसे लंबा सिक्स लगाने से चूक गए। ये रिकॉर्ड भारत के रिंक सिंह के नाम है, जिन्होंने चौथे टी-20 में बेन ड्वारशस के खिलाफ 100 मीटर लंबा सिक्स लगाया था।

बेन मैक्डरमॉट ने 98 मीटर लंबा सिक्स लगाया।
बेन मैक्डरमॉट ने 98 मीटर लंबा सिक्स लगाया।

3. बिश्नोई को फिर पहले ओवर में सफलता
भारत के लेग स्पिनर रवि बिश्नोई ने एक बार फिर टीम को अपने स्पेल के पहले ही ओवर में सफलता दिलाई। इस बार उन्होंने अटैकिंग ओपनर ट्रैविस हेड को बोल्ड किया। 5वें ओवर की पांचवीं बॉल बिश्नोई ने गुड लेंथ पर फ्लिपर फेंकी, हेड बैकफुट पर पंच करने गए लेकिन गेंद स्टंप्स से जा लगी। हेड 28 रन बनाकर आउट हुए और ऑस्ट्रेलिया को 47 रन पर दूसरा झटका लगा।

बिश्नोई ने लगातार 5वें टी-20 में विकेट लिया, पांचों बार उन्होंने पहला विकेट बोल्ड के रूप में लिया और 4 बार उन्हें अपने स्पेल के पहले ही ओवर में विकेट मिल गया। चौथे टी-20 में उन्होंने जोश फिलिप और तीसरे में जोश इंग्लिस को बोल्ड किया। जबकि पहले और दूसरे टी-20 में उन्होंने मैथ्यू शॉर्ट को बोल्ड किया था। तीसरे टी-20 में इंग्लिस को उन्होंने अपने स्पेल के दूसरे ओवर में आउट किया था, बाकी चारों विकेट उन्हें पहले ओवर में मिले।

रवि बिश्नोई ने अपने स्पेल के पहले ही ओवर में ट्रैविस हेड को बोल्ड किया।
रवि बिश्नोई ने अपने स्पेल के पहले ही ओवर में ट्रैविस हेड को बोल्ड किया।

4. मुकेश कुमार ने 2 गेंदों पर 2 विकेट लेकर पलटा मैच
ऑस्ट्रेलिया को आखिरी 4 ओवर में 37 रन की जरूरत थी। यहां टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मुकेश कुमार 17वां ओवर फेंकने आए। शुरुआती 2 गेंदों पर उनके खिलाफ 5 रन बन गए लेकिन तीसरी और चौथी गेंद पर मुकेश ने 2 विकेट झटक लिए। आखिरी 2 गेंदों पर उन्होंने कोई रन नहीं दिया और अपना ओवर 5 रन देकर ही खत्म कर दिया। उन्होंने बेन ड्वारशस और मैथ्यू शॉर्ट को आउट किया।

मुकेश ने फिर 19वें ओवर में भी बेहतरीन गेंदबाजी की। यहां कंगारू टीम को 12 बॉल पर 17 रन की जरूरत थी। मुकेश ने ओवर में 7 ही रन दिए और आखिरी ओवर में भारत को डिफेंड करने के लिए 10 रन मिले। मुकेश ने जोश फिलिप, मैथ्यू शॉर्ट और बेन ड्वारशस के विकेट लिए।

मुकेश कुमार ने 17वें ओवर में लगातार गेंदों पर मैथ्यू शॉर्ट और बेन ड्वारशस को पवेलियन भेजा।
मुकेश कुमार ने 17वें ओवर में लगातार गेंदों पर मैथ्यू शॉर्ट और बेन ड्वारशस को पवेलियन भेजा।

5. आखिरी ओवर में वाइड नहीं देने पर गुस्सा हुए कंगारू कप्तान
ऑस्ट्रेलिया को पारी के 20वें ओवर में जीत के लिए 10 रन की जरूरत थी। ओवर की पहली गेंद अर्शदीप सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मैथ्यू वेड को बाउंसर फेंकी। इसे लेग अंपायर ने वाइड करार नहीं दिया, वेड ने अंपायर से वाइड देने की मांग की लेकिन अंपायर अपील को नकार दिया। इस पर वेड गुस्सा हुए और आउट होने के बाद भी नाराजगी जताते नजर आए।

मैथ्यू वेड आखिरी ओवर की शुरुआती 3 गेंदों पर कोई रन नहीं बना सके और 22 रन के स्कोर पर कैच आउट भी हो गए। उनके विकेट के बाद टीम को 3 गेंदों पर 10 रन की जरूरत थी, जिसे टीम हासिल नहीं कर सकी।

ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मैथ्यू वेड वाइड नहीं दिए जाने के बाद गुस्से में नजर आए। वह अपनी टीम को जीत भी नहीं दिला सके और 22 रन बनाकर आउट हो गए।
ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मैथ्यू वेड वाइड नहीं दिए जाने के बाद गुस्से में नजर आए। वह अपनी टीम को जीत भी नहीं दिला सके और 22 रन बनाकर आउट हो गए।

6. अंपायर को फिर लगी बॉल
पांचवें टी-20 में अंपायर को एक बार फिर बॉल लगी। अंपायर को चौथे टी-20 में भी बॉल लगी थी। इस बार मैच के आखिरी ओवर में ऐसा हुआ। 20वें ओवर की पांचवीं बॉल अर्शदीप सिंह ने फुलर लेंथ फेंकी, नाथन एलिस ने सामने की ओर तेज शॉट खेला और बॉल सीधे अर्शदीप की ओर आ गई। बॉलर ने गेंद की ओर हाथ लगाया लेकिन बॉल उनके हाथ से टकराकर फील्ड अंपायर अनंत पद्मनाभन से जा लगी। हालांकि हाथ से टकराने के बाद गेंद की स्पीड कम हो गई और अंपायर को ज्यादा चोट नहीं आई।

फील्ड अंपायर को पांचवें टी-20 में भी बॉल लग गई। हालांकि उन्हें चोट नहीं आई।
फील्ड अंपायर को पांचवें टी-20 में भी बॉल लग गई। हालांकि उन्हें चोट नहीं आई।

7. अर्शदीप ने आखिरी ओवर में 9 रन डिफेंड किए
ऑस्ट्रेलिया को आखिरी 6 गेंदों पर जीत के लिए 10 रन की जरूरत थी। अर्शदीप सिंह ने कंगारू टीम के कप्तान मैथ्यू वेड को पहली गेंद बाउंसर फेंकी। अगली गेंद यॉर्कर रही, जिस पर कोई रन नहीं बना और तीसरी गेंद वेड कैच आउट हो गए। चौथी, पांचवीं और छठी गेंद पर 1-1 रन बना और ऑस्ट्रेलिया 6 रन से करीबी मुकाबला हार गया।

अर्शदीप सिंह ने अपने पहले ओवर में 14 रन दिए, लेकिन आखिरी 3 ओवर में 24 ही रन खर्चे। उन्हें बेन मैक्डरमॉट और मैथ्यू वेड के 2 अहम विकेट भी मिले।

अर्शदीप सिंह ने पारी के 20वें ओवर में 9 रन डिफेंड किए। उन्होंने 6 गेंदों पर 3 ही रन दिए।

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कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा के खिलाफ भारत ने की अपील https://bhavishydarpannews.com/?p=33024 https://bhavishydarpannews.com/?p=33024#respond Thu, 09 Nov 2023 12:37:58 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=33024 कतर में पूर्व नौसैनिकों की मदद के लिए भारत सरकार आगे आई है। भारत सरकार ने इन लोगों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। इन लोगों को पिछले साल अगस्त में अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था। नई दिल्ली : भारत सरकार ने कतर में सजा पाए पूर्व नौसैनिकों की फांसी की […]

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कतर में पूर्व नौसैनिकों की मदद के लिए भारत सरकार आगे आई है। भारत सरकार ने इन लोगों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। इन लोगों को पिछले साल अगस्त में अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था।

नई दिल्ली : भारत सरकार ने कतर में सजा पाए पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। इन आठों में पूर्व नौसैनिकों में अधिकारी भी शामिल हैं। ये लोग प्रमुख भारतीय युद्धपोतों पर काम कर चुके हैं। ये लोग कतर में डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। इन लोगों को पिछले साल अगस्त में अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था। कतर अदालत का ने इन्हें किस मामले में सजा दी है इस संबंध में निर्णय ‘गोपनीय’ हैं।

भारत को मिला कॉन्सुलर एक्सेस

कतर की एक अदालत द्वारा पिछले महीने आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाये जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि मामले में अपील दायर कर दी गई है। दोहा में हमारे दूतावास को 7 नवंबर को भारतीय बंदियों से एक बार फिर ‘कांसुलर एक्सेस’ का अवसर मिला। हम उन्हें पूरा कानूनी और राजनयिक मदद संबंधी सहयोग प्रदान करते रहेंगे।

विदेश मंत्री ने की थी परिजनों से मुलाकात

इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सजा पाए पूर्व नौसेना अधिकारियों के परिवारवालों से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस मामले को सर्वोच्च महत्व देती है। विदेश मंत्री ने कहा था कि सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करना जारी रखेगी। विदेश मंत्री की तरफ से मुलाकात के बाद परिजनों के साथ देश के लोगों को इन लोगों की रिहाई की उम्मीद जगी थी। सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।

ये ऑफिसर हैं शामिल

कतर में जिन पूर्व नेवी अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई हैं उनमें एक कमांडर पुरेन्‍दु तिवारी शामिल हैं। उन्हें साल 2019 में उनकी सेवाओं के लिए प्रवासी भारतीय सम्‍मान से भी सम्‍मानित किया गया था। इसके अलावा नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सुगुनकर पाकला, संजीव गुप्ता, अमित नागपाल, सौरभ वशिष्ठ और रागेश गोपकुमार शामिल हैं। ये लोग पिछले साल से ही जेल में हैं। ये सभी रिटायर ऑफिसर हैं। कतर की तरफ से इन पूर्व नौसेना अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए संपर्क किया गया था। हालांकि, फांसी की सजा के मामले में कतर की तरफ कोई भीआधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई थी।

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इसराइल और हमास क्या युद्ध अपराधों को अंजाम दे रहे हैं? https://bhavishydarpannews.com/?p=33021 https://bhavishydarpannews.com/?p=33021#respond Thu, 09 Nov 2023 12:32:18 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=33021 फ़लस्तीनियों की मौत के बढ़ते आंकड़े के बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इसराइल ग़ज़ा में रहने वाले लोगों को ‘सामूहिक सज़ा’ देते हुए ‘युद्ध अपराधों’ को अंजाम दे रहा है | इसराइल कहता है कि उसे आत्मरक्षा का अधिकार है और वह चरमपंथी संगठन हमास को […]

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फ़लस्तीनियों की मौत के बढ़ते आंकड़े के बीच, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इसराइल ग़ज़ा में रहने वाले लोगों को ‘सामूहिक सज़ा’ देते हुए ‘युद्ध अपराधों’ को अंजाम दे रहा है |

इसराइल कहता है कि उसे आत्मरक्षा का अधिकार है और वह चरमपंथी संगठन हमास को तबाह करना चाहता है. सात अक्टूबर को हमास के हमले में अपने 1400 से ज़्यादा नागरिकों की मौत और 200 को बंधक बनाए जाने के बाद से ही इसराइल लगातार ग़ज़ा पर हवाई हमले कर रहा है |

संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने हमास के हमले की आलोचना की है, मगर साथ ही इसराइल से संयम दिखाने को भी कहा है |

हमास स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इसराइली हमलों से ग़ज़ा में अब तक 10 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए हैं |

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ग़ज़ा बच्चों की कब्रगाह बनता जा रहा है |

क्या है ‘अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून’

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि किसी भी संघर्ष के दौरान आम लोगों की सुरक्षा सबसे अहम है और कोई भी पक्ष क़ानून से ऊपर नहीं है |

इसी को अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून या इंटरनेशनल हम्यूमैनिटेरियन लॉ (आईएचएल) कहा जाता है|

एसेक्स लॉ स्कूल एंड ह्यूमन राइट्स सेंटर में एसोसिएट प्रोफ़ेसर तारा वान हो कहती हैं, “एक पक्ष अगर इस क़ानून का उल्लंघन करता है, तो दूसरे पक्ष को भी उल्लंघन का बहाना नहीं मिल जाता |

वह कहती हैं, “इसराइल और फ़लस्तीनी सरकार व हमास की ताक़त में समानता या असामता होने से किसी भी पक्ष की ज़िम्मेदारी कम नहीं हो जाती |

‘जिनेवा कन्वेंशन्स’ क्या हैं

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में 1939 से 1945 तक नाज़ियों ने 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी थी|

इस युद्ध के दौरान हुए जानमाल के भारी नुक़सान ने मानवीय क़ानूनों और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की नींव डाली थी|

1949 जिनेवा कन्वेंशन के चार अहम सिद्धांत हैं:

  • युद्ध वाले इलाक़ों में अस्पतालों और स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा की जानी चाहिए और उन्हें खुलकर काम करने देना चाहिए|
  • युद्ध में घायल होने वालों और हथियार डालने वालों का इलाज किया जाना चाहिए|
  • युद्धबंदियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए|
  • युद्ध करने वाले पक्षों पर आम नागरिकों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है| (इसमें नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, जैसे कि बिजली और पानी की सप्लाई को निशाना बनाने पर रोक भी शामिल है.)|
ऑशविज़

GETTY IMAGES

ऑशविज़ में लाखों यहूदियों को गैस चैंबर में डालकर मार डाला गया था |

‘जनसंहार’ क्या है

जेनोसाइड (Genocide) को हिंदी में जनसंहार कहा जाता है | जेनोसाइड शब्द पोलैंड के एक यहूदी वकील रफाएल लेमकिन ने गढ़ा था, जिन्होंने होलोकॉस्ट (यहूदी जनसंहार) में अपने परिवार के ज़्यादातर सदस्य खो दिए थे |

संयुक्त राष्ट्र ने साल1948 में ‘जेनोसाइड कन्वेंशन’ अपनाया था|

डॉक्टर वान हो कहती हैं, “जनसंहार की सबसे ख़ास बात यह है कि हमलावर सिर्फ़ एक व्यक्ति या सैन्य अथवा हथियारबंद समूह के सदस्यों को मारने का इरादा नहीं रखते, बल्कि वे एक विशेष पहचान रङने वाले पूरे समूह या उसके एक भाग का अस्तित्व ही मिटा देना चाहते हैं |

वह कहती हैं, “तबाह करने की ऐसी मंशा के चलते ही यह साबित करने के लिहाज़ से सबसे मुश्किल अंतरराष्ट्रीय अपराध है |

जनसंहार में मारना, बच्चे पैदा करने से रोकना और जबरन बच्चों को उनके परिवारों से अलग करना भी शामिल है |

रवांडा के हुतू ज्यां-पॉल अकायेसु को संयुक्त राष्ट्र के तहत आने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल ट्राइब्यूनल फ़ॉर रवांडा ने साल 1998 में जरसंहार का दोषी पाया था |यह इस क़ानून के तहत दोषी पाए जाने का पहला मामला था | पुतू पर बड़े पैमाने पर तुत्सी समुदाय के लोगों की हत्या का आरोप था | रवांडा में छह लाख तुत्सी मारे गए थे|

संयुक्त राष्ट्र समर्थित अदालतों में जनसंहार के दो और मामले चले थे | पहला मामला 70 के दशक का था, जब कंबोडिया के खमेर रूज पर अल्पसंख्यक चाम और वियतनामी लोगों की हत्या का आरोप था |

दूसरा मामला बोस्निया के स्रेब्रेनिका का था, जहां साल 1995 में 8000 मुसलमान पुरुषों और लड़कों की हत्या कर दी गई थी |

रवांडा

GETTY IMAGE 

‘मानवता के विरुद्ध अपराध’ क्या हैं?

मानवता के ख़िलाफ़ किए जाने वाले अपराधों में आम नागरिकों को निशाना बनाया जाता है  इनमें जनसंहार की तरह किसी ख़ास जातीय या नस्लीय समूह को निशाना नहीं बनाया जाता |

इनमें हत्या, निर्वासन, ग़ुलाम बनाना, यौन हिंसा, रंगभेद, यातना देना और ग़ायब कर देना शामिल है|

डॉक्टर वान हो कहती हैं, “पहले तो आपको इन हमलों में फ़र्क करना होगा कि इनमें आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है या फिर वास्तव में संघर्ष में शामिल किसी व्यक्ति या जगह (जो सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जा रही है) को निशाना बनाने की कोशिश में आम लोगों भी नुक़सान पहुंच रहा है |

वह कहती हैं, “दूसरी बात है कि ये हमले संगठित होने चाहिए ताकि इनका दायरा बड़ा हो और इन्हें चरणबद्ध ढंग से अंजाम दिया जा रहा हो | साथ ही इसमें शामिल लोगों को पता होना चाहिए के वे भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं |

‘युद्ध अपराध’ क्या हैं?

युद्ध अपराध की परिभाषा में कोई अपराध तभी आ सकता है, जब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर या किसी देश में छिड़े आंतरिक संघर्ष के दौरान हुआ हो |

प्रोफ़ेसर वान हो कहती हैं, “युद्ध अपराधों की एक लंबी सूची है और इनको लेकर कई सारी संधियां हैं | मगर सभी उन क़दमों को युद्ध अपराध मानते हैं, जिनके चलते आम लोगों को अकारण नुक़सान पहुंचाया जा रहा हो |

इन अपराधों पर मुक़दमा कैसे चलता है?

संयुक्त राष्ट्र का अंग है- अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीजे), जहां कोई भी देश किसी दूसरे देश के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ करवा सकता है |

जैसे कि अभी इस कोर्ट में यह देखा जा रहा है कि 2017 में म्यामांर की सेना का रोहिंग्या मुसलमानों को विस्थापित होने के लिए मजबूर करना जनसंहार था या नहीं | म्यांमार के ख़िलाफ़ यह मामला गाम्बिया ने दायर किया था|

इसी तरह, एक और अदालत है- अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी)| इसकी स्थापना 2002 में हुई थी, ताकि लोगों पर इस तरह के अपराधों पर मुक़दमा चलाया जाए|

यह क़ानून का आख़िरी विकल्प है और कोर्ट तभी दख़ल देता है कि जब कोई देश इस तरह के मामलों पर सुनवाई नहीं कर सकता या करना नहीं चाहता|

अमेरिका, चीन, रूस, भारत और इसराइल ने इसपर हस्ताक्षर नहीं किए हैं|

हालांकि, फ़लस्तीनी प्राधिकरण साल 2015 में इसमें शामिल हो गया था|

आईसीसी में अभियोजक करीम ख़ान हाल ही में मिस्र गए थे, मगर ग़ज़ा में दाख़िल नहीं हो पाए | एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसराइल को लेकर कहा, “जिन हमलों से बेगुनाह नागरिकों या ‘सुरक्षा प्राप्त’ जगहों पर असर पड़ता हो, वेसै हमले उन्हें युद्ध के क़ायदे-क़ानूनों के मुताबिक़ करने चाहिए |

उन्होंने कहा, “हर रिहायशी मकान, स्कूल, अस्पताल, चर्चा या मस्जिद सुरक्षा को प्राप्त है| इन पर तब तक हमला नहीं हो सकता, जब तक कि इनसे ‘सुरक्षा प्राप्त’ होने का दर्ज़ा छीन न लिया गया हो | और इन्हें मिला यह दर्जा छिनने की बात साबित करने की ज़िम्मेदारी भी हमला करने वाले पर होगी |

करीम ख़ान
 

हमास के हमले के शिकार हुए इसराइलियों ने भी आईसीसी में अपील करके जांच की मांग की है, जबकि उनकी सरकार इस अदालत के ख़िलाफ़ हैं |

अंतरराष्ट्रीय अपराधों की अधिवक्ता याएल वियास ग्विर्समन, तेल अवीव के पास राइकमन यूनिवर्सिटी में लेक्चरर भी हैं| वह मारे गए, बंधक बनाए गए या लापता 49 लोगों के परिजनों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं |

वह कहती हैं, “हमास और इस्लामिक जिहाद ने मानवता के ख़िलाफ़ किए जाने वाले अपराध किए हैं | आईसीसी को सबके लिए फ़ैसला सुनाने दीजिए | पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए |

इसराइल
हमास ने 200 से अधिक इसराइलियों को बंधक बना लिया है

डॉक्टर वान हो कहती हैं कि जवाबदेही तय करवाने के लिए प्रयास करते रहना कभी फ़िज़ूल नहीं जाता, लेकिन इस मामले में ‘पावर’ का बहुत महत्व है |

वह कहती हैं, “आईसीसी के सामने सबसे बड़ी बाधा यह है कि जो सूचनाएं उसे चाहिए होती हैं, कई बार वे सरकारों या सशस्त्र समूहों के पास होती हैं और वे इन सूचनाओं को मुहैया करवाने के इच्छुक नहीं होते |

डॉक्टर वान हो को लगता है कि देश अपने हितों की रक्षा को सबसे ज़्यादा तरजीह देते हैं. ऐसे में जवाबदेही और न्याय हासिल करना बहुत संघर्ष भरा काम है |

वह कहती हैं, “दुर्भाग्य से, सरकारों की प्राथमिकताओं की क़ीमत आम नागरिकों को चुकानी पड़ती है |

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ग़ज़ा में मरते बच्चों की ख़बरों के बीच एक यहूदी बच्चे की कहानी, जो ‘होलोकॉस्ट’ से बच गया था https://bhavishydarpannews.com/?p=33017 https://bhavishydarpannews.com/?p=33017#respond Thu, 09 Nov 2023 09:54:30 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=33017 हमास के हमले के बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई से ग़ज़ा में 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है | मरने वालों में चार हज़ार से ज़्यादा बच्चे हैं |यानी लगभग हर 10 मिनट में एक बच्चा मारा जा रहा है | बड़ी संख्या में बच्चों के स्कूल, घर तबाह […]

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हमास के हमले के बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई से ग़ज़ा में 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों की अब तक मौत हो चुकी है | मरने वालों में चार हज़ार से ज़्यादा बच्चे हैं |यानी लगभग हर 10 मिनट में एक बच्चा मारा जा रहा है | बड़ी संख्या में बच्चों के स्कूल, घर तबाह हुए हैं | सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें भरी हुई हैं |

इन ख़बरों के बीच इसराइल से एक बच्चा 86 साल बाद जर्मनी लौटा है और उस यात्रा को फिर से शुरू कर रहा है जो उसने छह साल की उम्र में हिटलर के जनसंहार से बचने के लिए शुरू की थी |

इसराइल-हमास संघर्ष के बीच कुछ उम्मीदें हैं और ये कहानी है जो बताती है कि युद्ध किस कदर लोगों को प्रभावित करता है. ख़ासकर बच्चों को |

एक यहूदी दुकानदार जब फुटपाथ से यहूदी-विरोधी चित्रों को हटाने की कोशिश कर रहा था तो 50-60 लोगों की एक भीड़ उसका मज़ाक उड़ा रही थी.

यहूदियों के स्वामित्व वाली टोपी की एक दुकान के सामने पूरी सड़क पर टोपियाँ और टूटे शीशे बिखरे हुए हैं |

यह वह दृश्य था जिसे छह साल के जॉर्ज शेफ़ी ने बर्लिन में अपने अपार्टमेंट के बाहर नवंबर 1938 में नाज़ियों के किए जनसंहार के बाद देखा था |

जॉर्ज, अब 92 साल के हो चुके हैं | वो इसराइल में रहते हैं. वो कहते हैं, ” यह तस्वीर अभी भी मेरे दिमाग में है | मैं सभी टोपियों और कांच को देखता हूँ, जैसे कि यह कल की ही बात हो |

जब वह छोटे थे तभी अपने माता-पिता के बिना नाज़ी जर्मनी से भाग निकले थे| वह उन करीब 10 हज़ार यहूदी बच्चों में से एक थे, जिन्हें इन हमलों के बाद ब्रिटेन ले जाया गया था| इसे ब्रिटिश किंडरट्रांसपोर्ट कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है |

नाज़ी जनसंहार की 85वीं बरसी

बर्लिन में यहूदियों की दुकान में की गई तोड़फोड़

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जॉर्ज अब नाज़ी जर्मनी से भागने की अपनी यादों को ताज़ा करने के लिए जनसंहार की 85वीं वर्षगांठ के समय बर्लिन वापस आए हैं |

उन्हें बर्लिन जिले के शॉनबर्ग में हाउप्टस्ट्रैस पर अपने घर के बाहर तोड़ दी गईं दुकानें याद हैं | जनसंहार के बाद कुछ दिनों तक उन्हें बाहर ना जाने के लिए कहा गया था | जब उन्हें पता चला कि उनका स्कूल, जो एक यहूदी प्रार्थना स्थल सिनेगॉग से जुड़ा हुआ था, वह जलकर खाक हो गया है, तो वह हैरान रह गए |

लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि ऐसा पूरे जर्मनी में हो रहा है| उसे इस बात का अहसास भी नहीं था कि उनका जीवन हमेशा-हमेशा के लिए बदल जाने वाला है |

9 नवंबर 1938 की रात नाज़ियों की भीड़ ने पूरे देश में उत्पात मचाया | यहूदियों की दुकानों और घरों को तबाह कर दिया गया. जर्मनी के करीब सभी सिनेगॉग को जला दिया गया | 91 यहूदियों की हत्या कर दी गई और 30 हजार यहूदी पुरुषों को कंसंट्रेशन कैंप यानी नजरबंदी शिविर में भेज दिया गया |

जॉर्ज की माँ मैरी को इस बात की पूरी जानकारी थी कि क्या हो रहा है | यही वह क्षण था जब उन्होंने जॉर्ज को अकेले ही सुरक्षित ब्रिटेन भेजने का फैसला लिया |

यहूदियों का डर

नवंबर जनसंहार- जिसे कभी-कभी क्रिस्टालनाचट भी कहा जाता है |

यह घटना यहूदियों पर हिटलर के उत्पीड़न में एक महत्वपूर्ण मोड़ है | इस यहूदी-विरोधी हिंसा के बाद, जर्मन में रह रहे यहूदियों इस बात का अचानक अहसास हुआ कि वे सुरक्षित नहीं हैं  |

वे लोग जो ऐसा कर सकते थे, उन्होंने देश छोड़ दिया | जो लोग ऐसा नहीं कर सके, उन्होंने अपने बच्चों को सुरक्षित निकालने की कोशिश की.

मैरी जुलाई 1939 तक किंडरट्रांसपोर्ट में जॉर्ज के लिए जगह बनाने में कामयाब हो गई थीं |

मां से बिछड़ना

 जॉर्ज शेफ़ी की मां मैरी स्पीगेलग्लास

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जॉर्ज कहते हैं, “मेरी माँ ने शाम को कहा कि अपने खिलौने चुन लो, तुम कल ट्रेन से जा रहे हो, तुम जहाज से जा रहे हो, तुम एक दूसरा देश देखने और दूसरी भाषा सीखने जा रहे हो | अद्भुत |

जॉर्ज कहते हैं कि उनकी माँ ने इस यात्रा को एक मज़ेदार यात्रा जैसा बनाने की कोशिश की |

लेकिन अंत में वो अपने साथ कोई खिलौना नहीं ले जा पाए | बच्चों को एक सीलबंद सूटकेस में केवल जरूरी सामान ले जाने की ही इजाजत दी गई | वहीं कुछ बच्चे तो अपना लिखा हुआ नाम लेकर ही रवाना हुए |

मैरी जॉर्ज को बर्लिन के फ्रेडरिकस्ट्रैस स्टेशन पर ले गईं, जहां वह वहां से जाने की कोशिश कर रहे बच्चों से भरी ट्रेन में सवार हुए |

उन्होंने मुझसे कहा, ” यह भयावह था क्योंकि वे सभी लोग अपने बच्चों से जुदा हो रहे थे | मुझे पता ही नहीं चला कि हो क्या रहा है |

जॉर्ज कहते हैं, “मैं मां को प्लेटफार्म पर दौड़ते हुए मुझे अलविदा कहने की कोशिश करते हुए देख सकता था | मैं उन्हें देख सकता थे, लेकिन ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि मां मुझे नहीं देख पाईं |

जॉर्ज को यह नहीं पता था कि वो अंतिम बार अपनी मां को देख रहे हैं | मैरी स्पीगेलग्लास को 1943 में ऑश्वित्ज़ कंसंट्रेशन कैंप में ले जाया गया | वहां उन्हें ले जाए जाने के कुछ घंटे बाद ही उनकी हत्या कर दी गई |

यहूदी बच्चों को ब्रिटेन में किसने अपनाया

जॉर्ज शेफ़ी
इमेज कैप्शन,जॉर्ज शेफ़ी अब 92 साल के हो चुके हैं और इसराइल में रहते हैं

किंडरट्रांसपोर्ट योजना को ब्रितानी सरकार का समर्थन हासिल था | लेकिन यह गैर सरकारी संगठनों के दान और स्वयंसेवकों पर निर्भर थी |

ब्रितानी सरकार ने बच्चों के लिए वीज़ा माफ कर दिया | लेकिन उनके माता-पिता के लिए नहीं | इनमें से अधिकांश लोग होलोकॉस्ट में मारे गए |

जॉर्ज कहते हैं कि जो बच्चे बचकर भाग निकले, उनके लिए इंग्लैंड पहुंचना और ऐसे परिवारों की ओर से चुना जाना, जिनसे आप कभी नहीं मिले थे और जिनकी भाषा आप नहीं समझते थे, बहुत दुखद था|

उन्होंने कहा, “यह एक मवेशी बाज़ार जैसा था | यदि आप सुनहरे बालों और नीली आंखों वाली पांच साल की लड़की होतीं, तो आपको आमतौर पर एक अच्छा परिवार मिलता | यदि आप 17 साल की बच्ची होतीं और आपकी नाक थोड़ी टेढ़ी होती, तो कोई आपको कोई सस्ते घरेलू नौकर के रूप में अपनाता |

वो कहते हैं कि जिन परिवारों ने इन बच्चों को अपनाया उनकी कोई निगरानी नहीं की गई | बाद में अपनाए गए कुछ बच्चों ने कहा कि उन्हें भावनात्मक या शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ा है |

क्या करने बर्लिन आए हैं जॉर्ज

जॉर्ज शेफ़ी के स्कूल में बने स्मारक में लगी उनके मां के नाम की पट्टी
इमेज कैप्शन,जॉर्ज शेफ़ी के स्कूल में बने स्मारक में लगी उनके मां के नाम की पट्टी

बर्लिन में जॉर्ज के अपने स्कूल की साइट पर, खेल के मैदान पर बना स्मारक होलोकॉस्ट में मारे गए मैरी समेत स्थानीय यहूदी लोगों की याद दिलाता है | जॉर्ज यहां 11 साल के स्कूली बच्चों की एक क्लास से अपने जीवन के बारे में बात करने के लिए आए हैं |

तुआना नाम की एक छात्रा कहती हैं, ” एक मां के लिए यह वास्तव में बहुत कठिन होगा | आप अपने बच्चे को ट्रेन में बिठाते हैं और आप उन्हें फिर कभी नहीं देख पाते हैं |

बच्चे जॉर्ज को एक उपहार देते हैं | यह एक छोटा बक्सा है, जिसमें टाइल का एक टुकड़ा है | यह उनके स्कूल भवन का अवशेष है जो जनसंहार में जल गया था |

यह एक यात्रा का हिस्सा है, जिसे जॉर्ज और दो अन्य जीवित बचे लोग कर रहे हैं | वो जर्मनी में अपने बचपन के घरों से लंदन के लिवरपूल स्ट्रीट ट्रेन स्टेशन तक की यात्रा नाव और ट्रेन से कर रहे हैं | लंदन के लिवरपूल स्ट्रीट ट्रेन स्टेशन पर ही किंडरट्रांसपोर्ट के बच्चों की मुलाकात अपने पालने वाले परिवारों या रिश्तेदारों से हुई थी |

क्या है जॉर्ज की यात्रा का उद्देश्य

ऑश्वित्ज़ कैंप में बच्चे

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स्कॉट सॉन्डर्स जैसे इस यात्रा के आयोजकों का मानना ​​है कि इसराइल-ग़ज़ा युद्ध के साथ मध्य पूर्व में जो हो रहा है, उसे देखते हुए इस तरह की घटनाएं पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं |

सॉन्डर्स होलोकॉस्ट के बारे में बताने वाली संस्था मार्च ऑफ द लिविंग यूके के लिए काम करते हैं |

वो कहते हैं, ” जब आप आज की दुनिया को देखते हैं और आप यहूदी विरोध की भावना में बढ़ोतरी और नफरत के सभी रूपों में बढ़ोतरी को देखते हैं, चाहे वह इस्लामोफोबिया हो या समलैंगिकों से नफरत हो, ऐसे समय में हमारी जिम्मेदारी है कि हम खड़े हों और कहें- नहीं , फिर नहीं, इसका मतलब यह होना चाहिए कि फिर कभी नहीं |

जॉर्ज ने 13 साल की उम्र में अपने दम पर एक और यात्रा की | इस बार नाव से अमेरिका तक गए | जब वह 18 साल के थे तो वे इसराइल चले गए | वहां वे नौसेना में शामिल हो गए और एक परिवार शुरू किया |

मैंने जॉर्ज से पूछा कि वह अलगाव के सदमे से बचे कैसे   |

मेरे इस सवाल पर वो मुस्कुराते हुए कहते हैं, ” मैं जीवन में भाग्यशाली था | किंडरट्रांसपोर्ट पर होना और जर्मनी से बाहर निकाला जाना भाग्य नहीं है |

वो कहते हैं, ” वहीं दूसरी ओर मैं बहुत से लोगों से मिला जिन्होंने मेरी मदद की | मुझे एक अच्छा परिवार मिला और मैं 92 साल की उम्र तक पहुंच गया | मैं सचमुच उस आदमी से शिकायत नहीं कर सकता |

जॉर्ज और उनका परिवार लोगों से बात करने के लिए कई बार बर्लिन आया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इतिहास कभी भुलाया न जाए और कभी दोहराया भी न जाए  |

हर यात्रा पर उनकी एक परंपरा है: जॉर्ज उसी स्थान पर अपनी तस्वीर लेते हैं, जहां क़रीब 90 साल पहले, एक छोटे लड़के के रूप में मुस्कुराते हुए उनकी तस्वीर ली गई थी | इस बात से अनजान कि क्या होने वाला है |

उसी स्थान पर उनकी बाद की तस्वीरें उनके बढ़ते परिवार के साथ उनकी निडरता को दिखाती है | जॉर्ज शेफ़ी के बच्चे, पोते-पोतियाँ और परपोते हिटलर पर उनकी अंतिम जीत हैं |

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हिज़्बुल्लाह ने अमेरिका को ‘रूस में बनी’ किस चीज़ के दम पर दिखाई आँखें https://bhavishydarpannews.com/?p=33008 https://bhavishydarpannews.com/?p=33008#respond Thu, 09 Nov 2023 09:26:48 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=33008 लेबनान के चरमपंथी संगठन हिज़्बुल्लाह ने चेताया है कि अगर ग़ज़ा पर हमले नहीं रोके गए तो जंग का दायरा बढ़ सकता है | दक्षिणी लेबनान में मौजूद हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों और इसराइली सेना के बीच सात अक्तूबर से ही संघर्ष चल रहा है, मगर हालात फ़िलहाल क़ाबू में हैं | मगर ईरान समर्थित इस […]

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लेबनान के चरमपंथी संगठन हिज़्बुल्लाह ने चेताया है कि अगर ग़ज़ा पर हमले नहीं रोके गए तो जंग का दायरा बढ़ सकता है |

दक्षिणी लेबनान में मौजूद हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों और इसराइली सेना के बीच सात अक्तूबर से ही संघर्ष चल रहा है, मगर हालात फ़िलहाल क़ाबू में हैं |

मगर ईरान समर्थित इस संगठन के दो बड़े नेताओं के बयानों से इसराइल-लेबनान सीमा पर युद्ध छिड़ने की आशंका जताई जाने लगी है |

हिज़्बुल्लाह के दूसरे सबसे बड़े नेता शेख़ नईम क़ासेम ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, “मध्य पूर्व में बहुत ही गंभीर और ख़तरनाक परिस्थितियां बन सकती हैं और उनके असर को कोई नहीं रोक पाएगा |

शेख़ नईम क़ासेम का यह बयान हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की अमेरिका को दी गई चेतावनी के बाद आया है |

पिछले हफ़्ते नसरल्लाह ने अमेरिका को चेताया था कि इसराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग के बाद इस क्षेत्र में आए अमेरिकी युद्धपोतों के लिए हिज़्बुल्लाह के ‘भंडार’ में कुछ है |

 शेख़ क़ासेम
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अमेरिका को चेतावनी

हिज़्बुल्लाह नेता शेख़ क़ासेम ने बीबीसी को बेरूत में दिए इंटरव्यू में कहा कि जंग का दायरा कभी भी बढ़ सकता है और इसके लिए इसराइल ज़िम्मेदार होगा |

शेख़ नईम क़ासेम ने कहा, “यह वास्तविक ख़तरा है, क्योंकि इसराइल आम नागरिकों पर आक्रामकता बढ़ा रहा है, महिलाओं और बच्चों को मार रहा है| क्या ऐसा संभव है कि ये सब जारी रहे और इस क्षेत्र के लिए कोई ख़तरा पैदा न हो? मेरे ख़्याल से तो नहीं |

उन्होंने कहा, “कोई भी लेबनानी जंग से डरेगा. ऐसा होना सामान्य बात है. जंग किसी को जंग पसंद नहीं | मगर इसराइलियों से कहिए कि शांति बरतें, ताकि जंग और न बढ़े|

शेख़ क़ासेम ने कहा, “हर संभावना का एक जवाब होता है. हिज़्बुल्लाह के पास बहुत संभावनाएं हैं |

हसन
मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी जहाज़ों से न तो हमें डर लगा और न कभी लगेगा. जिन जंगी बेड़ों के दम पर आप धमकी दे रहे हैं, हमने उनके लिए इंतज़ाम किया हुआ है |
हसन नसरल्लाह
हिज़्बुल्लाह प्रमुख

वहीं, हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह ने शुक्रवार को दिए भाषण में भूमध्य सागर में अमेरिकी युद्धपोतों की तैनाती को लेकर सवाल उठाए थे |

अमेरिका का कहना है कि उसने अपने दो विमानवाहक युद्धपोत और अन्य जहाज़ इसलिए तैनात किए हैं ताकि हमास, हिज़्बुल्लाह और फ़लस्तीनी इस्लामिक जिहाद की मदद करने वाले ईरान के दख़ल के कारण जंग का दायरा न बढ़ जाए |

हिज़्बुल्लाह इन युद्धपोतों को अपने लिए सीधा ख़तरा मानता है क्योंकि यहां से अमेरिका उसके और उसके सहयोगियों पर हमले करने की क्षमता रखता है |

हसन नसरल्लाह ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि ‘मध्य पूर्व में मौजूद अमेरिकी जहाज़ों से न तो हमें कभी डर लगा और न भी लगेगा |

उन्होंने कहा, “जिन बेड़ों के दम पर आप धमकी दे रहे हैं, हमने उनके लिए इंतज़ाम किया हुआ है |

रॉयटर्स की रिपोर्ट मुताबिक़, अमेरिका के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों का भी मानना है कि हिज़्बुल्लाह के पास कई तरह के हथियार आ गए हैं |

एक अधिकारी ने कहा, “हम बारीक़ी से नज़र रख रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि हिज़्बुल्लाह के पास क्या करने की क्षमता है |

हिज़्बुल्लाह-इसराइल भिड़े तो क्या होगा?

राजनीतिक और सैन्य रूप से बेहद ताक़तवर इस लेबनानी शिया समूह को ब्रिटेन, अमेरिका और अरब लीग ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है |

अभी तक ग़ज़ा युद्ध को लेकर इसकी प्रतिक्रिया में चेतावनियां ज़्यादा रही हैं |

हालांकि, सात अक्तूबर को इसराइल पर हमास के हमले के बाद से ही लेबनान-इसराइल सीमा पर उसके लड़ाकों और इसराइली सैनिकों के बीच छोटे स्तर पर संघर्ष चल रहा है |

लेकिन जैसे-जैसे ग़ज़ा में इसराइल के हमले तेज़ होते जा रहे हैं, पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता जा रहा है |

हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह ने चेतावनी दी थी कि ‘लेबनान में हर आम नागरिक की मौत पर सीमा के दूसरी ओर एक और जान जाएगी.’ हालांकि, उन्होंने इसराइल के साथ खुली जंग की धमकी नहीं दी है |

हसन
लेबनान में हर आम नागरिक की मौत पर सीमा के उस पार (इसराइल में) एक और जान जाएगी.
हसन नसरल्लाह
हिज़्बुल्लाह प्रमुख

बेरूत में डिफ़ेंस एंड सिक्यॉरिटी कंसल्टेंट निकोलस ब्लैन्फ़ॉर्ड ने बीबीसी को बताया, “अगर इसराइल की हिज़्बुल्लाह से जंग होती है तो उसका सामना एक ऐसे दुश्मन से होगा, जिसके पास इतने हथियार हैं, जितने कई देशों के पास नहीं हैं | अनुमान है कि हिज़्बुल्लाह के पास डेढ़ लाख रॉकेट-मिसाइलें और 60 हज़ार लड़ाके हैं |

निकोलस ने कहा, “अगर हिज़्बुल्लाह और इसराइल में जंग छिड़ी तो उसके आगे ग़ज़ा में जो कुछ चल रहा है, वह तो बहुत मामूली लगने लगेगा | इसराइल में एक तरह का लॉकडान लग जाएगा. ज़्यादातर आबादी को बमों से बचने के लिए बनाए गए शेल्टरों में शरण लेनी पड़ेगी.” |

उन्होंने कहा, “इसराइल में हवाई और समुद्री यातायात बंद हो जाएगा. हिज़्बुल्लाह की गाइडेड मिसाइल इसराइल में कहीं भी लक्ष्यों को भेद सकती है | वहीं, लेबनान को इसराइल एक कार पार्किंग (समतल जगह) में तब्दील कर सकता है” |

अभी तक हिज़्बुल्लाह ने मुख्य तौर पर इसराइली सैन्य अड्डों को ही निशाना बनाया है | अब तक उसके 60 लड़ाके मारे जा चुके हैं |

रविवार को दक्षिणी लेबनान में इसराइल के हवाई हमले में एक महिला और तीन बच्चों की मौत हो गई थी |

इसके जवाब में हिज़्बुल्लाह ने रूस में बने ग्रैड रॉकेट दागे थे, जिससे एक इसराइली नागरिक की जान गई थी |

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इजरायल बमबारी बंद करेगा, तो हमास बंधकों को सकुशल छोड़ देगा https://bhavishydarpannews.com/?p=32461 Thu, 26 Oct 2023 11:17:07 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=32461 गाजा । इजरायल हमास युद्ध में जहां हमास ने 200 से ज्यादा इजलायली लोगों को अपने कब्जे में बंधक के तौर पर रखा हुआ है। वहीं हमास ने इन बंधकों को ‎‎रिहा करने के ‎लिए एक शर्त भी रख दी है। हालां‎कि हाल ही में इनमें से कुछ बंधकों को रिहा भी किया है। लेकिन बड़ी […]

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गाजा । इजरायल हमास युद्ध में जहां हमास ने 200 से ज्यादा इजलायली लोगों को अपने कब्जे में बंधक के तौर पर रखा हुआ है। वहीं हमास ने इन बंधकों को ‎‎रिहा करने के ‎लिए एक शर्त भी रख दी है। हालां‎कि हाल ही में इनमें से कुछ बंधकों को रिहा भी किया है। लेकिन बड़ी संख्या में अभी भी बंधक गाजा में हमास के कब्जे में ही है। जानकारी के अनुसार हमास के प्रमुख वार्ताकार खा‎लिद मेशाल ने कहा है ‎कि य‎दि हजरायल हमास पर बमबारी बंद कर देता है तो सभी बंधकों को सकुशल ‎रिहा का ‎दिया जाएगा। गौरतलब है ‎कि हमास ने पहले भी कहा था कि वह बंधकों को कुछ शर्तों पर छोड़ सकता है और हाल ही में उसने फिर से यही बात दोहराई है। लेकिन हमसा के ये शर्तें शायद इजरायल को मंजूर नहीं है या इजरायल के लिए मानना असंभव है। हमास के एक प्रमुख वार्ताकार ने मी‎डिया को ‎दिए एक इंटरव्यू में बताया कि हमास की बंधकों को लेकर मंशाएं साफ है। हमास के प्रमुख वार्ताकार खालिद मेशाल ने एक सात्क्षात्कार में 200 से अधिक बंधकों के भविष्य के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हमास इन लोगों को अपनी कैद से आजाद तभी करेगा जब इजरायल गाजा पर बमबारी की तीव्रता कम करेगा।
गौतलब है ‎कि मशाल हमास में एक प्रभावशाली शख्स के तौर पर देखे जाते हैं।  उन्होंने कहा ‎कि पहले इजरायल को इस आक्रमण को रोकना होगा और आप देखेंगे कि कतर, मिस्र, कुछ अरब देश और अन्य इसका हल निकाल लेंगे जिससे बंधकों की रिहाई हो सके और हमें उन्हें उनके घर भेज देंगे।  उन्होंने इस रिहाई के लिए अनुकूल स्थितियों के होने पर जोर दिया। मशाल का कहना है कि बंधकों को इजरायल के इस तीव्र हमलों के जारी रहने के बीच में नहीं छोड़ा जा सकता है। हम बेतरतीब बमबारी, सम्पूर्ण विनाश, और नरसंहार को रोकना चाहते हैं जिससे अक कसाम के सैनिक उनकी जगह से ले जाकर उन्हें रेड क्रास या किसी अन्य को सौंपने का काम कर सकें।  इस‎लिए उनकी रिहाई के लिए सही हालात का होना बहुत जरूरी है।

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अमेरिका में यहूदी छात्रों को लाइब्रेरी में लेनी पड़ी शरण, दरवाजा पीटते रहे प्रदर्शनकारी https://bhavishydarpannews.com/?p=32458 Thu, 26 Oct 2023 11:12:28 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=32458 वॉशिंगटन । इजरायल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद ‎छिड़ी जंग की आग अमे‎‎रिका तक पहुंच गई है। हालां‎कि हमास के विरोध में अमेरिका इजरायल के समर्थन में भले ही उतर गया, ले‎किन इसकी आग अमेरिका में भी भड़क उठी है। दरअसल न्यूयॉर्क में यहूदी छात्रों के एक समूह पर हमले की आशंका बनी तो […]

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वॉशिंगटन । इजरायल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद ‎छिड़ी जंग की आग अमे‎‎रिका तक पहुंच गई है। हालां‎कि हमास के विरोध में अमेरिका इजरायल के समर्थन में भले ही उतर गया, ले‎किन इसकी आग अमेरिका में भी भड़क उठी है। दरअसल न्यूयॉर्क में यहूदी छात्रों के एक समूह पर हमले की आशंका बनी तो उनको कूपर यूनियन की एक लाइब्रेरी में शरण लेनी पड़ी। लाइब्रेरी के बाहर फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाए जा रहे थे। जब छात्र लाइब्रेरी के अंदर चले गए तो प्रदर्शनकारी दरवाजे को पीटते रहे। हालांकि, रिपोर्ट में न्यूयॉर्क पुलिस विभाग का हवाला देते हुए कहा गया है कि यहूदी छात्रों को लाइब्रेरी से सुरक्षित निकाल लिया गया था। बताया जा रहा है कि हमास के आतंकवादी हमलों में 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 5,400 से अधिक लोग घायल हुए थे। मी‎डिया ‎रिपोर्ट के अनुसार गाजा में आतंकवादियों ने 222 लोगों, ज्यादातर नागरिकों को बंधक बना रखा है। इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने आतंकवादी समूह को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यह 2023 है, 1943 नहीं, जर्मनी में नाजी शासन के तहत यहूदियों के उत्पीड़न का जिक्र भी‎ किया है।
मी‎डिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, योव गैलेंट ने कहा कि आज के यहूदी लोगों के पास बहुत क्षमताएं हैं। हम वही यहूदी हैं, लेकिन हमारी क्षमताएं अलग-अलग हैं। हम एकजुट और शक्तिशाली हैं। हम पर बहुत अत्याचार हुआ है। कोई गलती न करे। बुधवार को अमेरिकी यहूदी समिति (एजेसी) में भारतीय-यहूदी संबंधों के कार्यक्रम निदेशक निसिम रूबेन ने इजरायल के समर्थन में कांग्रेस की ब्रीफिंग में कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां यहूदी विरोधी भावना का कोई इतिहास नहीं है। 2008 के मुंबई हमलों तक कभी भी भारत में यहूदियों पर अत्याचार नहीं किया गया था, जिसे सीमा पार से आए आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इसीलिए इजरायल में आज भी भारतीय यहूदी कहते हैं कि इजरायल हमारी पितृभूमि है। भारत हमारी मातृभूमि है। इजराइल हमारे दिल में है। भारत हमारे खून में है।

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Oscar Awards 2023: बधाई हो! The Elephant Whisperers ने जीता ऑस्कर, गुनीत मोंगा की डॉक्यूमेंट्री ने बजाया भारत का डंका https://bhavishydarpannews.com/?p=28805 https://bhavishydarpannews.com/?p=28805#respond Mon, 13 Mar 2023 05:04:50 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=28805 भारत के लिए आज का दिन बेहद खुशी वाला है. प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की डॉक्यूमेंट्री ‘द एलीफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिल गया है। ‘द एलीफेंट व्हिस्परर’ एक नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री है. इसे कार्तिकी गोंसालविज़ ने निर्देशित और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है. इसकी कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उनकी देखभाल करने वालों […]

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भारत के लिए आज का दिन बेहद खुशी वाला है. प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की डॉक्यूमेंट्री ‘द एलीफेंट व्हिस्परर्स’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिल गया है।

‘द एलीफेंट व्हिस्परर’ एक नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री है. इसे कार्तिकी गोंसालविज़ ने निर्देशित और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है. इसकी कहानी अकेले छोड़ दिए गए हाथी और उनकी देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन की बात करती है.

गुनीत मोंगा ने किया रिएक्ट
गुनीत मोंगा ने ऑस्कर जीतने के बाद अपना पहला रिएक्शन दिया है. उन्होंने ऑस्कर अवॉर्ड हाथ में लेते हुए फोटो शेयर की. साथ ही कैप्शन में लिखा- ‘आज की रात ऐतिहासिक है. क्योंकि ये किसी इंडियन प्रोडक्शन के लिए अब तक का पहला ऑस्कर है. थैंक यू मॉम-डैड, गुरुजी शुक्राना, मेरे को-प्रोड्यूसर अचिन जैन, टीम सिख्या, नेटफ्लिक्स, आलोक, सराफीना, WME बैश संजना. मेरे प्यारे पति सनी. हैप्पी 3 मंथ एनिवर्सरी. इस कहानी को लाने के लिए कार्तिकी, देखने वाली सभी महिलाओं को…
भविष्य यहां है. जय हिन्द.’

क्या है कहानी?
इस शॉर्ट फिल्म की कहानी की बात करें तो ये साउथ के कपल बोम्मन और बेली और रघु नाम के बेबी एलिफेंट के इर्द-गिर्द घूमती है. कहानी में दिखाया गया है कि कैसे एक कपल एक अनाथ बेबी हाथी की देखभाल करने के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं, एक परिवार बनाते हैं.

प्रियंका चोपड़ा ने की थी डॉक्यूमेंट्री की तारीफ

बता दें कि जब द एलीफेंट व्हिस्परर्स ऑस्कर 2023 के लिए नॉमिनेट हुई थी उसके बाद प्रियंका चोपड़ा ने द एलिफेंट व्हिस्पर्स का रिव्यू किया था. उन्होंने इसकी खूब तारीफ की थी. प्रियंका ने लिखा था, ‘इमोशन्स से भरा एक ट्रंक. मैंने हाल में ही जिन डॉक्यूमेंट्रीज को देखा उनमें से दिल छू लेने वाली डॉक्यूमेंट्री में से एक, मुझे बहुत पसंद आई. कार्तिकी गोंसाल्विस और गुनीत मोंगा को बहुत-बहुत बधाई.’

नाटू-नाटू से फैंस को उम्मीद

मालूम हो कि फिल्म एसएस राजामौली की फिल्म आरआरआर का सॉन्ग नाटू-नाटू सॉन्ग ऑस्कर अवॉर्ड की रेस में शामिल है. इस सॉन्ग को एमएम कीरावणी ने कंपोज किया है और चंद्रबोस ने लिरिक्स लिखे हैं. वहीं एक्टर राम चरण और जूनियर एन टीआर ने अपनी डासिंग स्किल्स दिखाई हैं. इस गाने को काफी पसंद किया गया. ये गाना भारत के लिए बेहद खास है. फिल्म की कास्ट ऑस्कर अवॉर्ड सेरेमनी में पहुंच गई है।

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अमेरिकी विदेश मंत्री बोले- भारत और चीन ने रूस को यूक्रेन पर परमाणु हमला करने से रोका https://bhavishydarpannews.com/?p=28013 https://bhavishydarpannews.com/?p=28013#respond Sat, 25 Feb 2023 11:33:36 +0000 https://bhavishydarpannews.com/?p=28013 अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का रूस-यूक्रन युद्ध को लेकर बड़ा बयान आया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि इस युद्ध को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यू्क्रेन पर काफी पहले ही परमाणु हमला कर चुके होते। संभव है कि उन्हें ऐसा करने से भारत और चीन ने रोका है। द […]

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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन का रूस-यूक्रन युद्ध को लेकर बड़ा बयान आया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि इस युद्ध को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यू्क्रेन पर काफी पहले ही परमाणु हमला कर चुके होते।

संभव है कि उन्हें ऐसा करने से भारत और चीन ने रोका है। द अटलांटिक को दिए इंटरव्यू में ब्लिंकेन ने कहा, ‘पुतिन इस युद्ध में ज्यादा तर्कहीन रूप से प्रतिक्रिया कर सकते हैं। मास्को की तरफ से बार-बार परमाणु हमले की धमकी दी गई। ये एक चिंता का विषय है।’

युद्ध में भारत-चीन की भूमिका अहम
ब्लिंकेन ने कहा, हमने उन सभी देशों इस युद्ध को खत्म करवाने के लिए आग्रह किया, जिनके संबंध रूप से अच्छे हैं। इसमें चीन और भारत भी शामिल है। इसका असर भी हुआ। दोनों देशों ने रूस को यूक्रेन पर परमाणु हमला करने से रोकने के लिए कोशिश की और ये सफल भह हुआ।

भारत ने पश्चिमी देशों पर भरोसा बढ़ाया
ब्लिंकेन ने कहा, ‘दशकों से भारत को रूस सैन्य उपकरण प्रदान करता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने जो देखा है वह रूस पर भरोसा करने और हमारे साथ और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ साझेदारी में आगे बढ़ने का प्रक्षेपवक्र है।’

एक दिन पहले चीन को बताया था खतरा
ब्लिंकेन ने इसके पहले रविवार को एक साक्षात्कार में चीन को बड़ा खतरा बताया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने जानकारी दी है कि चीन रूस को हथियार और गोला-बारूद उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है जो कि आने वाले समय में मुश्किलें खड़ा कर सकता है। एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि चीन रूस की कार्रवाई की ना तो आलोचना करता है ना ही वो रूस पर यूक्रेन के हमले को गलत मानता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन की तरफ से कोई भी हथियार आपूर्ति सिर्फ पश्चिमी देशों के लिए ही नहीं दुनिया के अन्य देशों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। हिमांशु मिश्रा

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