वॉशिंगटन । इजरायल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद छिड़ी जंग की आग अमेरिका तक पहुंच गई है। हालांकि हमास के विरोध में अमेरिका इजरायल के समर्थन में भले ही उतर गया, लेकिन इसकी आग अमेरिका में भी भड़क उठी है। दरअसल न्यूयॉर्क में यहूदी छात्रों के एक समूह पर हमले की आशंका बनी तो उनको कूपर यूनियन की एक लाइब्रेरी में शरण लेनी पड़ी। लाइब्रेरी के बाहर फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाए जा रहे थे। जब छात्र लाइब्रेरी के अंदर चले गए तो प्रदर्शनकारी दरवाजे को पीटते रहे। हालांकि, रिपोर्ट में न्यूयॉर्क पुलिस विभाग का हवाला देते हुए कहा गया है कि यहूदी छात्रों को लाइब्रेरी से सुरक्षित निकाल लिया गया था। बताया जा रहा है कि हमास के आतंकवादी हमलों में 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 5,400 से अधिक लोग घायल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गाजा में आतंकवादियों ने 222 लोगों, ज्यादातर नागरिकों को बंधक बना रखा है। इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने आतंकवादी समूह को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यह 2023 है, 1943 नहीं, जर्मनी में नाजी शासन के तहत यहूदियों के उत्पीड़न का जिक्र भी किया है।
मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, योव गैलेंट ने कहा कि आज के यहूदी लोगों के पास बहुत क्षमताएं हैं। हम वही यहूदी हैं, लेकिन हमारी क्षमताएं अलग-अलग हैं। हम एकजुट और शक्तिशाली हैं। हम पर बहुत अत्याचार हुआ है। कोई गलती न करे। बुधवार को अमेरिकी यहूदी समिति (एजेसी) में भारतीय-यहूदी संबंधों के कार्यक्रम निदेशक निसिम रूबेन ने इजरायल के समर्थन में कांग्रेस की ब्रीफिंग में कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां यहूदी विरोधी भावना का कोई इतिहास नहीं है। 2008 के मुंबई हमलों तक कभी भी भारत में यहूदियों पर अत्याचार नहीं किया गया था, जिसे सीमा पार से आए आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। इसीलिए इजरायल में आज भी भारतीय यहूदी कहते हैं कि इजरायल हमारी पितृभूमि है। भारत हमारी मातृभूमि है। इजराइल हमारे दिल में है। भारत हमारे खून में है।