कतर में पूर्व नौसैनिकों की मदद के लिए भारत सरकार आगे आई है। भारत सरकार ने इन लोगों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। इन लोगों को पिछले साल अगस्त में अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था।
नई दिल्ली : भारत सरकार ने कतर में सजा पाए पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा के खिलाफ अपील की है। इन आठों में पूर्व नौसैनिकों में अधिकारी भी शामिल हैं। ये लोग प्रमुख भारतीय युद्धपोतों पर काम कर चुके हैं। ये लोग कतर में डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। इन लोगों को पिछले साल अगस्त में अज्ञात कारणों से गिरफ्तार किया गया था। कतर अदालत का ने इन्हें किस मामले में सजा दी है इस संबंध में निर्णय ‘गोपनीय’ हैं।
भारत को मिला कॉन्सुलर एक्सेस
कतर की एक अदालत द्वारा पिछले महीने आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाये जाने पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि मामले में अपील दायर कर दी गई है। दोहा में हमारे दूतावास को 7 नवंबर को भारतीय बंदियों से एक बार फिर ‘कांसुलर एक्सेस’ का अवसर मिला। हम उन्हें पूरा कानूनी और राजनयिक मदद संबंधी सहयोग प्रदान करते रहेंगे।
विदेश मंत्री ने की थी परिजनों से मुलाकात
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सजा पाए पूर्व नौसेना अधिकारियों के परिवारवालों से मुलाकात की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस मामले को सर्वोच्च महत्व देती है। विदेश मंत्री ने कहा था कि सरकार उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करना जारी रखेगी। विदेश मंत्री की तरफ से मुलाकात के बाद परिजनों के साथ देश के लोगों को इन लोगों की रिहाई की उम्मीद जगी थी। सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि भारत फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने समेत विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है।
ये ऑफिसर हैं शामिल
कतर में जिन पूर्व नेवी अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई हैं उनमें एक कमांडर पुरेन्दु तिवारी शामिल हैं। उन्हें साल 2019 में उनकी सेवाओं के लिए प्रवासी भारतीय सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सुगुनकर पाकला, संजीव गुप्ता, अमित नागपाल, सौरभ वशिष्ठ और रागेश गोपकुमार शामिल हैं। ये लोग पिछले साल से ही जेल में हैं। ये सभी रिटायर ऑफिसर हैं। कतर की तरफ से इन पूर्व नौसेना अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए संपर्क किया गया था। हालांकि, फांसी की सजा के मामले में कतर की तरफ कोई भीआधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई थी।