उज्जैन में रेलवे स्टेशन के बाहर रखे रेलवे इंजिन का जन्मदिन मनाया। उज्जैन के कुली हर साल इस इंजिन के बर्थडे पर केक काटते हैं। रेलवे में अपनी सेवाएं दे चुका यह इंजन 14 सालों से स्टेशन के बाहर रखा है। यह इंजिन 1988 में आखिरी बार पटरी पर चला था।
कुलियों ने इंजन को फूल-मालाओं से सजाया और केक काटा। कुली शफी बाबा ने बताया कि इस इंजिन से उनकी बरसों की यादें जुड़ी हैं। उन्होंने इस ट्रेन में चाय बेची थी। इस इंजिन से चलने वाली ट्रेन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व इंदिरागांधी व जीवाजीराव सिंधिया ने भी सफर किया था।
उज्जैन-आगर के बीच नैरोगेज ट्रेन का संचालन किया जाता था। तब ट्रेनें भाप के इंजन से चलती थी। नैरोगेज ट्रेन बंद होने के बाद से ही बेकार पड़े इंजन को रेलवे के डिपो में खड़ा कर दिया गया था। इस इंजिन को 14 साल पहले 2006 में स्टेशन परिसर के बाहर जगह दी गई। इसके बाद से ही हर साल रेलवे स्टाफ व कुली भाप के इंजन का जन्मदिवस मनाते हैं।
1.26 लाख रुपए में बना था इंजिन, 20 साल चला –
उज्जैन से आगर और आगर से उज्जैन के बीच करीब 70-80 किमी चलने वाले इस इंजन में कई खूबियां हैं। करीब 90 साल पहले बनकर तैयार हुए इस इंजिन की लागत 1.26 लाख रुपए आई थी। यह कुल 20 साल तक पटरियों पर दौड़ता रहा। इसमें पानी की क्षमता 1300 गैलन की है। जबकि इसमें 2.25 टन कोयला रखा जा सकता था। इस इंजिन का वजन 27.5 टन है। 13 अप्रैल 1988 को इस इंजिन ने आखिरी सफर किया था।