यातायात पुलिस नियम तोड़ने वालों पर सख्ती करने के लिए वाहन चालकों के चालान काट रही है। पकड़े गए लोगों से पुराने चालान भी वसूल रही है।
चालान काटने के बाद उन्हें यातायात नियमों की जानकारी भी दी जाती है, लेकिन गौर करने वाली बात है कि जिन्हें इस काम की जिम्मेदारी दी गई है, वे खुद यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नियमों को ताक पर रखकर बाइक की प्लेट पर नंबर ही नहीं लिखवा रहे, कुछ तो नेम प्लेट लगाकर ही नहीं घूमते। ऐसे में नंबर नहीं होने से चौराहों पर लगे कैमरे इनके नंबर ट्रेस नहीं कर पाते। इससे ई-चालान भी नहीं बनते।
पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद यातायात की कमान पुलिस उपायुक्त महेशचंद्र जैन के हाथ में है। उन्होंने यातायात नियमों का सख्ती से पालन करने का जोर दिया है। अधीनस्थ खुद ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं होती। ये बेखौफ चौराहा पार कर निकल जाते हैं, नियम भी तोड़ते हैं और रौब भी झाड़ते हैं। गाड़ियां अधिकारियों के सामने और उनके दफ्तर में खड़ी रहती हैं, लेकिन कोई भी अपने ही विभाग के कर्मचारियों के चालान काटने की कोई जहमत नहीं उठाता।
पुलिसकर्मियों पर असर नहीं – एक ओर लगातार चल रही चालानी कार्रवाई के बाद आम लोगों में जागरूकता आई है, पुलिस का डर बना है, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मियों पर इसका असर नहीं दिख रहा है। कई पुलिसकर्मी बिना हेलमेट के बाइक चलाते दिखते हैं, तो कई बिना नंबर की बाइक पर जाते नजर आते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि दूसरों को नियम सिखाने वाले पुलिसकर्मी खुद नियमों का पालन कितनी ईमानदारी से करते हैं।
पुलिस आयुक्त कार्यालय में भी ध्यान नहीं – पुलिस आयुक्त कार्यालय में बिना नंबर या नंबर प्लेट पर पुलिस लिखी दर्जन भर से ज्यादा गाड़ियां खड़ी रहती हैं। यहां से ये गाड़ियां पूरे शहर में भी घूमती हैं। इसके अलावा भी कई गाड़ियां इन पुलिककर्मियों की हैं, लेकिन इन पर ध्यान नहीं दिया जाता।