राजधानी में मास्क न लगाने वालों पर नगर निगम की सख्ती नजर आ रही है। रोजाना औसत 300-400 लोगों पर कार्रवाई हो रही है, जबकि गंदगी फैलाने वालों का आंकड़ा 200 के पार नहीं जा पा रहा है।
गुरुवार को 19 जोनों की 85 टीमों ने 627 लोगों पर स्पॉट फाइन की कार्रवाई की, जिसमें 428 मामले मास्क न लगाने और 199 मामले गंदगी फैलाने के थे। यानी एक वार्ड में महज दो या तीन लोग ही गंदगी फैलाते हुए पकड़े गए। जबकि सच्चाई ये है कि चौक-चौराहों, बाजारों, कॉलोनियों और बस्तियों में लोग खुलेआम गंदगी फैलाते नजर आ जाएंगे।
बता दें कि निगम कोविड काइड लाइन का पालन कराने के मामले में तो सख्त है, लेकिन गंदगी फैलाने वालों पर सख्ती नजर नहीं आ रही। यह खुद निगम के स्पॉट फाइन के आकड़े बता रहे है। रोजाना निगम इन आंकड़ों का जारी करता है और इसमें बमुश्किल 20 से 25 प्रकरण ही गंदगी फैलाने के होते हैं। शहर में छोटे-बड़े 20 बाजार क्षेत्र हैं। इनसे 900 टन कचरा निकलता है और 15 से 20 फीसदी कचरा उठ भी नहीं पाता है।
खाली प्लॉटों से लेकर सड़कों तक गंदगी
खाली प्लॉट से लेकर घरों के पिछले हिस्सों तक में गंदगी कभी भी देखी जा सकती है। यहां कॉलोनियों के लोग ही कचरा डंप करते हैं। इतना ही नहीं, घर से कचरा सेग्रिगेशन के तमाम उपायों के बावजूद जब कचरा मैजिक वाहन ट्रांसफर स्टेशन पहुंचता है तो गीले में सूखा और सूखे में गीला कचरा मिला होता है। क्योंकि लोग गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं देते। इन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जो नहीं होती।
शहर में नगर निगम के 19 जोन क्षेत्र हैं, इनमें 85 वार्ड कार्यालय है। स्थिति ये है कि गंदगी पर स्पॉट फाइन के दो से तीन ही प्रकरण प्रति जोन बन रहे हैं। यदि प्रति जोन रोजाना 50 प्रकरणों का लक्ष्य दे दिया जाए तो 19 जोन में 950 प्रकरण बन सकते हैं। 200 रुपए भी प्रति प्रकरण वसूली हो तो यहां से निगम को रोजाना करीब दो लाख का राजस्व मिल सकता है। इसका उपयोग स्वच्छता के संसाधनों व व्यवस्थाओं को मजबूत करने में किया जा सकता है।