मध्य प्रदेश ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढावा देने के लिए सरकार नाई, बढ़ई, कुम्हार, लोहार, बसोर आदि को गांव में दुकान उपलब्ध कराएगी। इतना ही नहीं, इन्हें रोजगार स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना में बैंकों से आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी।
इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को ग्रामीण पारंपरिक उद्यमियों को सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी नहीं है। इन्हें व्यवस्थित किए जाने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर होने वाले कामों को संस्थागत रूप दिया जाएगा।
दोना, पत्तल, झाडू, बांस की डलिया, मटके, सुराही, दीपक, ईंट, हसिया, खुरपी, गेंती, फावड़ा सहित कृषि उपयोग में आने वाली अन्य सामग्री ग्रामीण स्तर पर तैयार होती है। इस काम में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए तय किया है कि मुख्यमंत्री पथ विक्रेता सहित अन्य योजनाओं से जोड़कर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इनके उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से होगा।
कलेक्टरों से कहा गया है कि वे पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत भवन, सामुदायिक भवन या अन्य भवन में रिक्त स्थान हों तो ऐसे उद्यमियों को उपलब्ध कराएं। हाट बाजार में निर्मित खाली दुकानें भी इन्हें दी जा सकती है। इसके अलावा पंचायत अपनी खाली भूमि भी ऐसे व्यक्तियों को दे सकती हैं।