विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत होने के बाद पहले दिन निराकार से साकार रूप , दूसरे दिन शेष नाग धारण किया और बुधवार को तीसरे दिन बाबा जटाओं को खोल निराकार से साकार रूप में आए और घटाटोप रूप में दर्शन दिए। शिव पार्वती को दुपट्टा, मुकुट, मुंड माल छत्र आदि भी अर्पित किया गए। गुरुवार को चौथे दिन बाबा भक्तों को छबिना रूप में दर्शन देंगे!
बुधवार को शिव नवरात्रि के तीसरे दिन सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल ने घटाटोप स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिये। श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक, रूद्रपाठ से किया तथा सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल को नवीन नारंगी रंग के वस्त्र धारण कराये गये। इसके अतिरिक्त कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र, माला एवं फलों की माला आदि पहनाई गई।
महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में शिवनवरात्रि के तीसरे दिन हरिकीर्तन हुआ। कथारत्न हरिभक्त परायण पं. रमेश कानडकर द्वारा शिवकथा हरिकीर्तन सायं 04 से 06 बजे तक प्रतिदिन मंदिर परिसर में नवग्रह मंदिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर किया जा रहा है।
घटाटोप श्रृंगार का महत्व
घटाटोप का विशेष महत्व है इसलिए है क्योकि बाबा महाकाल की जटाओं में तीन लोक समाहित है। सारी ऋतुएं, सारा संसार बाबा ने जटाओं में समाहित किया हुआ है, बाबा के विवाह हेतु उपरांत बाबा जाटओं को खोल भक्तों को दर्शन देते हैं