इंडियन बायोगैस एसोसिएशन ने इंदौर में बायो सीएनजी प्लांट लगने का अभिनंदन किया

इंडियन बायोगैस एसोसिएशन ने इंदौर में बायो-सीएनजी प्लांट लगाने की सरकार की पहल का स्वागत किया। यह प्लांट इंदौर शहर में प्रतिदिन पैदा होने वाले 550 टन घरेलू कचरे का इस्तेमाल कर बायो-सीएनजी का उत्पादन करेगा।

इस पहल से देश के अन्य शहरों में भी इस तरह के प्रयास का मार्ग प्रशस्त होगा।

इंदौर स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में लगातार पांचवें वर्ष भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। शहर के दैनिक घरेलू कचरे से बायो-सीएनजी बनाने के लिए एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र लगाया गया जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।

इंडियन बायोगैस एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. एआर शुक्ला ने कहा कि इंडियन बायोगैस एसोसिएशन बायो-मीथेनेशन के जरिये म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) के ऐसे वैज्ञानिक समाधान की पुरजोर अनुशंसा करता रहा है। इससे ना केवल बायो-सीएनजी ऊर्जा मिलेगी बल्कि जैविक खाद भी प्राप्त होगा। इंदौर देश के अन्य तमाम शहरों के लिए मिसाल है जो कचरा से निजात पाने के लिए संघर्षरत हैं।

इस शहर में कचरा प्रबंधन की एकीकृत योजना है जिसमें घर-घर कचरा उठाना, कचरे के स्रोत पर उन्हें अलग करना और कचरे का विकेंद्रीकृत प्रबंधन शामिल है। योजना काफी सफल साबित हुई है। गौरतलब है कि इंदौर के 95 प्रतिशत से अधिक कचरे को सफलतापूर्वक प्रॉसेस किया जा रहा है। ऐसे समाधान बहुत लाभदायक हैं। बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ-साथ सर्कुलर इकानोमी, रोजगार और अन्य कई लाभ हैं। बायोगैस स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा माना जा रहा है।

कई शहर अपना सकते हैं इंदौर का मॉडल

देश के कई अन्य शहरों में यह बुनियादी व्यवस्था और सिस्टम पहले से मौजूद है इसलिए बायो-मिथेनेशन प्लांट लगा कर विकेंद्रीकृत कचरा प्रबंधन मॉडल लागू किया जा सकता है। इनमें खास तौर से उल्लेखनीय हैं हैदराबाद, अहमदाबाद, बंगलुरू, मुंबई और दिल्ली आदि। इनके नगर निगम इंदौर के पीपीपी मॉडल का लाभ ले सकते हैं। इसमें नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों, कॉरपोरेट घरानों आदि जैसे विभिन्न समूहों की भागीदारी से स्थानीय सरकारों को कचरा प्रबंधन की लागत कम करने, राजस्व बढ़ाने, स्वच्छता में सुधार और प्रदूषण कम करने में मदद मिल सकती है।

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