उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में होली पर्व से प्रतिदिन होने वाली आरतियों के समय में परिवर्तन हो जाएगा। इसके बाद से बाबा महाकाल को ठंडे पानी से स्नान कराने का क्रम भी शुरू होगा। इस वर्ष कोरोना गाइडलाइन से मिली छूट के बाद महाकाल मंदिर में होलिका दहन भी धूम-धाम से मनाया जाएगा।
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि प्रति वर्ष दो बार बाबा की आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है। यह परिवर्तन परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा, 17 मार्च को होलिका दहन के दिन किया जाएगा। पुजारी आशीष गुरू के अनुसार, बाबा की आरतियों के समय में आधा घंटे का बदलाव होता है और दिनचर्या में परिवर्तन हो जाता है। संध्याकालीन पूजा शाम 5 बजे से ही होगी। आरतियों का यह क्रम अश्विन पूर्णिमा तक चलेगा।
बाबा महाकाल करेंगे ठंडे पानी से स्नान
भगवान महाकाल कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, रूप चौदस के दिन से गर्म जल से स्नान करना शुरू करते हैं। होली के दिन तक ये क्रम जारी रहता है। होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक रोजाना भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है।
सबसे पहले महाकाल के दरबार में होगा होलिका दहन
महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले होलिका दहन मनाने की परंपरा है। होलिका दहन की पूर्व संध्या पर संध्या आरती के बाद पुजारी, भगवान महाकाल और श्रद्धालुओं के साथ होली मनाएंगे। इसमें जमकर गुलाल उड़ाया जाएगा। 17 मार्च को होलिका दहन होगा। अगले दिन 18 मार्च को धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा।
पुजारी खेलेंगे फूलों की होली
मंदिर परिसर में पूर्णिमा पर संध्या आरती के बाद विधिवत होलिका दहन पूजा और गुलाल अर्पण होगा। इसी दिन महाकाल मंदिर के पुजारी और पुरोहित मिलन समारोह कर फूलों की होली खेलेंगे।
बाबा महाकाल की आरतियों का समय
- प्रथम भस्म आरती – प्रात: 4 से 6 बजे तक
- द्वितीय दद्योदक आरती – प्रात: 7 से 7:45 बजे तक
- तृतीय भोग आरती- प्रात: 10 से 10: 45 बजे तक
- चतुर्थ संध्याकालीन पूजन – सांय 5 से 5:45 बजे तक
- पंचम संध्या आरती – सांय 7 से 7:45 बजे तक
- शयन आरती – रात्रि 10:30 से 11:00 बजे तक