मौके का सर्वे… तीन दिन की मोहलत… और फिर कार्रवाई। कुछ ऐसी ही कहानी रही लेमागार्डन कालोनी को खाली कराए जाने की। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करीब साढ़े चार सौ आवास गरीब हितग्राहियों के लिए बनाए गए थे।
इन सभी आवासों में बीते करीब चार साल से अवैध कब्जाधारी निवास कर रहे थे। इन लोगों को कई बार आवास खाली करने के लिए कहा भी गया, लेकिन राजनीतिक दखलंदाजी और कतिपय अन्य कारणों के चलते न तो लोगों ने आवास खाली किए और न ही निगम प्रशासन खाली करा पाया। लेकिन रविवार को दिखी एकदिनी प्रशासनिक सख्ती और सूझ-बूझ के सामने सारा तिलिस्म समाप्त हो गया, लोगोें ने स्वस्फूर्त रूप से आवास खाली कर दिए।
लेमागार्डन में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बनाए गए करीब 450 आवासों पर अपात्र लोगों का कब्जा रहा। अनेक आवासों पर नामचीन दबंगों ने कब्जा कर रखा था। उन आवासों को कुछ दबंग दूसरों को किराए पर देकर भाड़ा वसूल रहे थे। प्रशासन को बहुत आपत्ति नहीं रही क्योंकि वो जबरन नई चुनाैतियों में उलझना नहीं चाहता था। लेकिन अचानक यह मामला हाईकोर्ट में चला गया। हाईकोर्ट ने प्रशासन को नोटिस जारी करके 22 मार्च तक जवाब मांग लिया, लिहाजा प्रशासन को अंगुली टेढ़ी करना पड़ गई।
16 मार्च को अधारताल एसडीएम नम:शिवाय अरजरिया के नेतृत्व में राजस्व, पुलिस और नगर निगम का अमला लेमा गार्डन कालोनी का निरीक्षण करने गया। इस दौरान पता चला कि वहां रहने वाले सभी अवैध कब्जाधारी हैं। प्रशासन ने ऐसे सभी लोगों को साफ शब्दों में कह दिया था कि वो आवास आबंटन संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करें या आवास खाली करें। तीन दिन बीतने के बावजूद जब लोगों ने आवास खाली नहीं किए तो प्रशासन, पुलिस और निगम का अमला पूरे लाव-लश्कर कि साथ मौके पर पहुंच गया। प्रशासन ने जैसे ही बल पूर्वक आवास खाली कराने का ऐलान शुरू किया, कालोनी के लोग खुद ही मकान खाली करने लगे।
बच्चे को फेंकने की धमकी: प्रशासन की कार्रवाई के दौरान एक कब्जाधारी दबाव बनाने के उद्देश्य से चारमंजिला बिल्डिंग की बालकनी पर चढ़ गया और धमकाने लगा कि अगर उससे आवास खाली कराया गया तो वो अपने बच्चे के साथ नीचे कूद कर जान दे देगा। इस अप्रत्याशित हरकत से प्रशासन का अमला सकते में आ गया। सूझ-बूझ दिखते हुए प्रशासन ने उसे किसी तरह से नीचे उतार लिया। इसके बाद कार्रवाई फिर शुरू हो गई।
भारी तादाद में पुलिस बल तैनात: इस कार्रवाई के दौरान 7 थानों के सवा सौ से ज्यादा जवान और पुलिस अफसर शामिल रहे। इसके अलावा रिजर्व फोर्स के जवान भी लेमा गार्डन के बाहर मुख्य सड़क पर मौजूद रहे। सीएसपी गोहलपुर अखिलेश गौर खुद पूरी कार्रवाई के दौरान कार्रवाई पर पैनी नजर रखे हुए थे।
भोजन और वाहन का इंतजाम: कार्रवाई के दौरान लोग भोजन बनाने के नाम पर वक्त बर्बाद न करें इसलिए निगम प्रशासन ने लेमागार्डन कालोनी में भोजन के पैकेट बंटवाए। साथ ही कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिनके पास अपनी गृहस्थी का सामान शिफ्ट करने का इंतजाम नहीं रहा। ऐसे लोगों के लिए निगम की ओर से अपने वाहन उपलब्ध करवाकर उनका सामान उनके ठिकानों तक पहुंचवाया गया।
सुरक्षा में तैनात जवान।
हाईकोर्ट के निर्देश पर लेमागार्डन कालोनी को खाली कराया गया है। यहां रहने वाले किसी भी परिवार के पास आबंटन संबंधी कोई दस्तावेज नहीं रहे। जिन लोगों ने आवदेन कर रखे हैं, वो नगर निगम की अन्य औपचारिकताएं पूर्ण कर आवासों का आबंटन करा सकते हैं। यहां रहने वाले अनेक परिवार ऐसे हैं, जिनके पास खुद के मकान हैं, बावजूद इसके उन्होंने यहां के आवासों पर कब्जा कर रखा था।