देश भर में प्रसिद्ध करीला मेले की शुरुआत सोमवार को धूमधाम से हुई। मेले में पहले दिन ही लाखों की संख्या में लोग पहुंचे। यह मेला इसलिए भी खास है कि लोग यहां मन्नत पूरी होने के बाद राई नृत्य का आयोजन करते हैं। तीन दिनी इस मेले में सबसे खास राई नृत्य ही रहेगा। करीला धाम मां जानकी के दरबार में श्रद्धालुओं का सैलाब मेले में कई दिनों पहले से ही उमड़ना शुरू हो गया। करीला की ओर बड़ी संख्या में सभी मार्गों से वाहनों के जाने की संख्या बढ़ गई है।
20 वर्षों में मंदिर का बदला आकार, कई मील तक सजेगा मेला
मां जानकी धाम करीला मंदिर लगभग 20 वर्ष पहले छोटे आकार में था। वहां मंदिर की एक गुम्मठ थी। आस-पड़ोस घने जंगल थे। पहाड़ी के ऊपर मेला लगाया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे मंदिर का स्वरूप बदला और अब आकर्षक और भव्य मंदिर बन गया है। कई वर्षों से मेले में राई नृत्य की परंपरा चली आ रही है। धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। आस-पड़ोस के लोगों की मानें तो 20 साल से पहले मेले में केवल हजारों की संख्या में लोग आते थे। मसाल के उजाले में राई नृत्य होते थे। अब उस जगह बिजली की आकर्षक सजावट की गई। पहाड़ी के नीचे बड़ी तादाद में दुकानें, झूला सहित मेला लगा है। मेले में बड़ी तादाद में बाहर की दुकानें लगती हैं। कई दिनों पहले से वहां पर नृत्यांगना एकत्रित होने लगती हैं रंग पंचमी की रात को पहाड़ी से नीचे जगह-जगह मसाल और बिजली के आकर्षक उजाले में राई नृत्य होंगे। मंदिर का बदलता स्वरूप अब श्रद्धालुओं को आकर्षक करने लगा है। देखते ही देखते जिस मंदिर पर हजारों की संख्या में लोग जाते थे। वहां 40 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचेंगे।
माना जाता है कि आज के समय 1 दिन में राई नृत्य के लिए सजने वाला रंगमंच में यह सबसे बड़ा मेला है। जिसमें अब लगभग 3 हजार से भी अधिक नृत्यांगना पहुंचेगी। रात भर ढोलक की थाप और घुंघरू की आवाज से पूरा इलाका गूंज उठेगा।