उज्जैन। वर्तमान समय में भारत में सीए की बहुत कमी है। यदि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आप लोग चाहे तो सीए की परीक्षा देने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में खाली पड़ी भूमि एवं अपने खेतों की मेड़ पर मेहंदी एवं पपीता लगा दें। इन दोनों में कोई कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती है एवं पढ़ाई से बचे समय में इन्हें परिष्कृत कर व्यवसाय कर सकते हैं।
सहकारिता मंत्रालय भारत सरकार एवं भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की सहकारी शिक्षा क्षेत्रीय परियोजना उज्जैन द्वारा अमृत महोत्सव की शृंखला में ग्राम खेमासा में युवा कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका लक्ष्य युवा महिलाओं को शिक्षा के साथ व्यवसाय के लिए प्रेरित करना रहा।
मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ. रेखा तिवारी थे। अध्यक्षता चन्द्रशेखर बैरागी परियोजना अधिकारी ने की। युवा कार्यशाला में डॉ. तिवारी ने महिला खासकर जो अभी शिक्षा ग्रहण कर रही है उन्हें आगे चलकर कौन से विषय लेना चाहिए एवं अभी से किसी न किसी प्रकार का व्यवसाय करने का लक्ष्य रखते हुए उसे मूर्त रूप देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र खुली भूमि होती है। यहाँ उपस्थित महिलाएं भी कृषि से संबंधित एवं कई महिलाओं के पास स्वयं की कृषि भूमि भी होगी, यदि महिलाएं मेहंदी लगाएं तो उससे पर्यावरण के साथ ही खेत भी सुरक्षित होंगे एवं उनकी पत्तियों को सुखाकर मेहंदी बनाकर व्यवसाय किया जा सकता है। इसी प्रकार कच्चे पपीता से टूटी-फूटी एवं गुलाब कत्री आदि बनाई जा सकती है। वर्तमान समय में पहने जाने वाली पोशाकों मे कपड़े की लेस का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रशिक्षण प्राप्त कर घर पर ही कपड़े से की कई तरह की लेस बनाई जा सकती है। अनुपयोगी कपड़ों के टुकड़े से साड़ियों में लगने वाली पिन को भी बनाया जा सकता है एवं बचे हुए कपड़े से माक्स निर्माण किया जा सकता है। संचालन प्रेम सिंह झाला सहकारी शिक्षा प्रेरक ने किया।