कृषि महाविद्यालय सीहोर में संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य शासन से पुरुस्कृत एवं देश विदेशों का भ्रमण कर चुके कृषकों ने कृषि छात्रों के साथ अपने विचार अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा एचडी वर्मा ने इस तरह के संवाद की आवश्यकता पर जोर देते हुए भविष्य में भी आयोजित करने की सलाह दी। कृषकों में गजराज सिंह वर्मा कुलां सकला ने बताया कि वे 15 एकड़ में जैविक खेती करते हैं और उत्पादन का मूल्य संवर्द्धन जैसे विभिन्न मसाले, दाल, कच्ची घानी का तेल और दूध के उत्पाद तैयार कर अपने उत्पादों का मूल्य स्वयं निर्धारण कर बेचते हैं।
इस प्रकार उन्होंने खेती को लाभ का धंधा बना लिया है। कृषक श्री सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि वे खेती के साथ साथ डेयरी (देशी गाय गिर और साहीवाल ब्रीड ) करते हैं तथा अभी 5 एकड़ में जैविक खेती भी कर रहे हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसान खेती के साथ डेयरी चलाता है तो खेती से कभी घाटा नहीं होगा। युवा कृषक श्री रविन्द्र जी ने बताया कि वे मैकेनाइज्ड फार्मिंग करते हैं। इसके कारण उनकी उत्पादन लागत लगभग आधी हो गई है और समय पर कृषि क्रियाएं होने से उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा है।
मालवा फिश हैचरी हीरापुर के संचालक कृषक राहुल ने बताया कि खेती के साथ मछली पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। उन्होंने खेती एवं संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं । जिक्र करते हुए इनको कैसे शुरू करें और सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे लें आदि से सम्बन्धित अपने अनुभव शेयर किए। कृषक- छात्र संवाद कार्यक्रम में महाविद्यालय के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया और जिज्ञासु छात्रों में संजय अहिरवार, मिस भूमिका शर्मा, मधुसूदन, श्रुति तोमर , हर्षित गुप्ता एवं कविता ने कृषकों से सम्बन्धित विषयों पर सवाल किए जिनका समाधान उनको दिया गया।