मुरैना के खड़ियाहार गांव में एक बिजली कंपनी कर्मचारी की मौत हो गई। बिजली कंपनी कर्मचारी मातादीन कंपनी में ठेके पर अकुशल कर्मचारी के रुप में पदस्थ था। वह टीम के अन्य सदस्यों के साथ ट्रांसफार्मर पर चढ़कर लाइट सुधार रहा था, उसी दौरान बिजली अधिकारियों ने लाइन चालू कर दी, जिससे वह वहीं ट्रांसफार्मर पर चिपक गया और बेमौत मारा गया। बता दें, कि इस मामले में बिजली कंपनी प्रबंधन पूरी तरह से अपना पल्ला झाड़ते हुए जांच की बात कह रहा है जबकि इसमें कंपनी के अधिकारियों की गलती है। नियमानुसार जब भी किसी बिजली की लाइन या ट्रांसफार्मर पर काम किया जाता है तो काम करने वाले कर्मचारी को उतने समय का परिमट दिया जाता है। परिमट का मतलब यह है कि उतने समय तक बिजली की वह लाइन चालू नहीं होगी। जब कर्मचारी लाइन पर काम कर चुका होता है तथा लाइन से नीचे उतर आता है तब वह फोन करके सब स्टेशन के अधिकारियों को व ऑपरेटर को सूचित करता है कि काम पूरा हो गया है, लाइन चालू कर दी जाए। यह काम करने का सिस्टम होता है। लेकिन इस मामले में बताया जा रहा है कि कर्मचारी से पूछे बगैर ही बिजली कंपनी अधिकारियों ने सप्लाई चालू कर दी और वह ठेका कर्मचारी बेमौत मारा गया।
7 हजार के मामूली वेतन पर काम कराती कंपनी
बता दें, कि बिजली कंपनी में जब से ठेका प्रथा शुरु हुई है, कर्मचारियों का शोषण शुरु हो गया है। कंपनी प्रबंधन कुशल व अकुशल कर्मचारियों से काम करा रहा है। कुशल कर्मचारी को 9200 तथा अकुशल कर्मचारी को 7200 रुपए वेतन दिया जाता है। मातादीन अकुशल कर्मचारी था।
चार लाख रुपए देने का है प्रावधान
नियमानुसार अगर कोई बिजली कंपनी का ठेका कर्मचारी काम के दौरान मरता है तो उसके क्रिया कर्म के अलावा उसके परिजनों को 4 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। इसी के साथ अगर उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं है तो उसके घर के किसी एक सदस्य को ठेके पर ही अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है।