महाकाल मंदिर के पीछे विकसित किए जा रहे नए परिसर को महाकाल वन का स्वरूप भी दिया जा रहा है। यहां करीब 85 हजार छोटे-बड़े पौधे लगाए जा रहे हैं। इनमें इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि सभी पेड़-पौधे आदि लगाए जा रहे हैं, वे शिव, शक्ति और अन्य धार्मिक महत्व के हों। ताकि इस परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं को अच्छा अहसास हो।
मान्यता है कि भगवान महाकाल वन में विराजित हैं। समयांतर में वन नहीं रहा। आसपास बस्तियां बस गईं। अब जबकि महाकाल का नया परिसर विकसित किया जा रहा है, यहां महाकाल वन के अहसास को फिर से जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए पूरे परिसर में पौधारोपण किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा को देखते महाकाल कॉरिडोर में हर 7 फीट पर एक 12 फीट से ऊंचा पेड़ लगाया जाएगा। इसके लिए स्मार्ट सिटी बड़े पेड़ ही खरीद रही है। इनमें बिल्व पत्र, रुद्राक्ष, पीपल, बड़, कचनार, सीता अशोक, कदम आदि शामिल हैं। बड़े पौधे होने से कॉरिडोर हराभरा दिखेगा। पूरे परिसर में इस तरह के 2347 फलदार और छायादार पौधे लगाए जाएंगे। इनके नीचे क्यारियों में शोभादार व फूलदार पौधे लगेंगे।
प्रतिमाओं के पास लताएं
परिसर में जगह-जगह लताएं लगाई जाएंगी। 1225 लताएं परिसर में लहलहाएंगी। फूलदार और खुशबूदार लताएं भी होंगी। लताओं को स्तंभों, प्रतिमाओं के आसपास लगाया जाएगा। परिसर को हरा-भरा बनाने के लिए 62050 बड़ी झाड़ीनुमा और 22429 छोटी झाड़ी वाले पौधे लगेंगे।
प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर में प्रवेश तक और आसपास चारों तरफ पौधे दिखाई देगी। स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक के अनुसार पूरे परिसर को पेड़-पौधों से सजाया जा रहा है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को महाकाल वन जैसा अहसास हो।