बदनावर के बड़ी चौपाटी पर इस झुलसा देने वाली गर्मी में भी लोग खुले में खड़े होकर बसों का इंतजार करने को मजबूर हैं। फोरलेन निर्माण के पहले यहां यात्री प्रतीक्षालय, सुविधाघर, प्याऊ आदि बने हुए थे। जिन्हें निर्माण के समय हटा दिया गया था। लेकिन बाद में कंपनी ने इन्हें बनाने में कोई रुचि नहीं दिखाई।
इंदौर व रतलाम रोड पर कोई सुविधा नहीं है। यहां चौपाटी पर अब यात्रियों के लिए न तो यात्री प्रतीक्षालय बना हुआ है और न ही सुविधाघर। यात्री सड़क किनारे खड़े रहकर बसों का इंतजार करते रहते हैं। इससे फोरलेन पर गुजरते तेज वाहनों से हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।
दुकानदारों के यहां छांव में रुकने का प्रयास करते हैं तो, वहां से भी दुकानदार उन्हें हटाते हैं। ऐसे में धूप से बचने के लिए मजबूरी में यात्रियों को वहां से सामान खरीदना भी पड़ता है। इससे खासकर महिलाओं व बच्चों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जबकि बदनावर बसों का जंक्शन है। यहां इंदौर, रतलाम, उज्जैन, झाबुआ आदि स्थानों की करीब 125 बसें आती जाती है। इससे यात्रियों का दबाव भी अधिक रहता है। फोरलेन कंपनी ने गांवो में यात्री प्रतीक्षालय बनाए तो जरूर, लेकिन वह आबादी से काफी दूर है। इससे उनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। वे अनुपयोगी होकर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। यही हाल मुलथान, पिटगारा, घटगारा, बोराली, मनासा आदि गांवों के बस स्टॉप पर भी है।
बड़ी चौपाटी पर यात्री प्रतीक्षालय व सुविधाघर की मांग
जब से फोरलेन का निर्माण हुआ है, तब से ही यहां लोगों के ओर से यात्रियों के लिए यात्री प्रतीक्षालय की मांग की जा रही है। गर्मी में तेज धूप से बचने व बारिश के दिनों में बरसते पानी से बचने के लिए लोग परेशान होते है। साथ ही यहां चौपाटी पर सरकारी सुविधाघर नहीं होने से भी यात्रियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। खासकर महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है।