भगवान की शादी का ऐसा जुनून चार देवी-देवताओं की शादी, इसके लिए खर्च का कोई हिसाब नहीं, कोई बजट नहीं

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इंदौर के पास रहने वाले मिर्च व्यापारी देवकरण चौहान का ईश्वर के प्रति अद्भुत प्रेम है। इसी प्रेम के कारण वे 13 सालों से जमीन पर सो रहे हैं और बाहर का अन्न-जल ग्रहण नहीं करते। ईश्वरीय प्रेम के कारण उन्होंने चार देवी-देवताओं की शादी का 13 दिवसीय आयोजन रखा है। उनका कहना है कि धर्म पिता (ईश्वर) का आदेश है इसलिए मैंने यह 11 दिनी आयोजन रखा है। इसके लिए निमंत्रण पत्र भी बांट दिए हैं और उसमें कई देवी-देवताओं को आमंत्रित किया है। हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से भगवान की लग्न लिखी गई है। इसमें मंडप लगेगा और भक्ति संगीत के साथ धूमधाम से बरात निकालकर चार देवी-देवताओं के ब्याह कराए जाएंगे।शहर से 22 किमी दूर दतौदा में रहने वाले 62 वर्षीय देवकरण चौहान अपने गांव में ही देवी-देवताओं का विवाह करा रहे हैं। जिन देवताओं का विवाह करा रहे हैं उनमें ब्रह्मा, विष्णु, नारायण और शिव हैं। विवाह समारोह 30 मई से 11 जून तक चलेगा।

देवी-देवताओं की शादी के लिए छपवाई पत्रिका

– बतौर देवकरण भगवान ब्रह्मा और माता सरस्वती का विवाह मंगलवार 31 मई को होगा, इसके लिए सोमवार सुबह देवी-देवताओं की स्थापना की गई। इसमें समाजजन व गांव के लोग शामिल हुए और शिव पुराण के अध्याय हुए। शाम को गणेश पूजन से 11 दिनी आयोजन की शुरुआत हो गई।

– भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह का मंडप और लग्न 8 जून को होगा। इसके लिए गणेश पूजन 7 जून को होगा।

– भगवान नारायण व तुलसी का विवाह 10 जून को होगा। इसके लिए गणेश पूजन 7 जून को किया जाएग।

– चौथा विवाह शिवजी-माता सती का विवाह 11 जून को होगा जिसका गणेश पूजन 30 मई को होगा।

रस्म प्रक्रिया में वर व वधू दोनों पक्षों की ओर से खुद ही

देवकरण चौहान ने शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। वे इसके पूर्व 7 दिनी भागवत कथा व 9 दिनी देवी भागवत का आयोजन कर चुके हैं। इस अदभुत आयोजन को लेकर उन्होंने कहा कि बस धर्म पिता (ईश्वर) का आदेश था, वह कर रहा हूं। चारों विवाह में कन्यादान को लेकर कहा कि वे खुद ही करेंगे। साथ यह भी बताया कि मैं वर-वधू दोनों पक्षों से हूं। शादी की रस्म में दोनों से ओर भूमिका निभाऊंगा।

भोजन में ब्रह्माजी के पसंदीदा मालपुए

– पहले दिन गणेश पूजन में समाजन और गांव के लोगों सहित 200 से ज्यादा लोग शामिल हुए। इसमें मेहमानों को घर का भोजन खिलाया गया।

– 31 मई को ब्रह्मा-सरस्वती के विवाह के उपलक्ष्य में 400 लोगों की भोजन प्रसादी रखी गई है। इसमें ब्रह्माजी की प्रिय चीज मालपुए, कढ़ी, रामभाजी, पूडी बनाई जाएगी।

ऐसे ही हर दिन परिवार की सहमति से अलग-अलग तरह की प्रसादी बनाई जाएगी।

– 11 जून को महाप्रसादी होगी जिसमें देवताओं की प्रिय खीर, रामभाजी, पूडी आदि बनाई जाएगी तथा डेढ हजार से ज्यादा लोग शामिल होंगे।

शुभ काम में कोई हिसाब नहीं, कोई बजट नहीं

देवी-देवताओं की इन शादियों में अभी तक कितना खर्च हो गया और कितना अनुमानित है, इस पर कहा कि ऐसे मामलों में कोई हिसाब नहीं रखता और न ही कोई बजट होता है। मेरी हैसियत से जितना संभव हो रहा है, वह सब कर रहा हूं। यह भी कहा कि मैं कोई लोकप्रियता नहीं चाहता। बस अपना धर्म निभा रहा हूं।

पत्रिका में प्रेषक ‘सुखदेश्वर महाराज’, विनीत- ‘भगवान गणपति बप्पा’

हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं की मान्यता है, उन सभी को इस विवाह में आमंत्रित किया गया है। उज्जैन के महाकाल बाबा के साथ ही ऊंकार जी को भी निमंत्रण दिया है। ऐसे ही तीन सौ पत्रिकाएं परिवार की बहन, बेटी और रिश्तेदारों को भेजी गई है। विवाह की खास बात यह है कि इस पत्रिका में खुद के अलावा परिवार के किसी सदस्य का नाम नहीं दिया है। प्रेषक में भी ‘सुखदेश्वर महाराज’ का नाम दिया है। विनीत में ‘भगवान गणपति बप्पा’ का नाम है। स्वागतातुर में पावागढ़ वाली ‘महाकाली मां’ और ‘भद्रकाली और संत ज्ञानेश्वर’ का नाम लिखा है।

रिसेप्शन नहीं भंडारा
विवाह में भंडारे का आयोजन दातोद में 11 जून को कुशवाह समाज धर्मशाला में किया जाएगा। इसके पूर्व भक्ति संगीत के साथ बरात भी निकाली जाएगी। इस आयोजन में सभी भगवान की मूर्तियां खड़े स्वरूप में होगी। इसमें माता सती की खड़ी मूर्ति नहीं थी, जिसे बनवाया गया है। उनके परिवार में पत्नी, पांच बेटियां व एक बेटा और पत्नी है। पांचों बेटियों की शादी हो चुकी है जबकि बेटे का विवाह भगवान के विवाह के बाद ही करने का संकल्प लिया है। इस अदभुत आयोजन को लेकर गांव के लोगों में खासा उत्साह है।

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