वन विभाग के कर्मचारियों पर प्रदेश में लगातार हो रहे हमले की घटनाओं पर रोक नहीं लगने व आरोपियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण सरकार के प्रति विभाग में नाराजगी है। इसके साथ ही असुरक्षा का भाव भी बढ़ता जा रहा है। वन विभाग के संयुक्त संगठनों द्वारा इसके विरोध और लंबित मांगों को लेकर तीन चरणों में प्रदर्शन शुरू किया गया है। जिसकी शुरुआत मंगलवार दोपहर के समय हुई। धार में मप्र वन कर्मचारी संघ, मप्र वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण कर्मचारी संघ, स्टेट फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन द्वारा तीन अलग-अलग ज्ञापन डीएफओ धार के नाम सौंपे गए। साथ ही वनकर्मियों को वनों की सुरक्षा के लिए दी गई बंदूकों और रिवाल्वर के साथ कारतूस भी जमा करवाए गए है।
ज्ञापन में बताया कि वनमंडल विदिशा, गुना व इंदौर में वनसुरक्षा के दौरान कर्मचारियों पर हमले हुए है और प्रशासन बिना मजिस्ट्रियल जांच के वनकर्मियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज की। जबकि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 196 के तहत वन कर्मचारियों द्वारा गोली चलाने की घटना में दर्ज की गई एफआईआर बिना मजिस्ट्रियल जांच के कोई भी संज्ञान नहीं लिया जाएगा। लेकिन बगैर जांच लटेरी में डिप्टी रेंजर को गिरफ्तार किया गया। मृत आदतन अपराधी जिसका न्यायालय में ट्रायल चल रहा था, उसे शहीद का दर्जा देकर 25 लाख रुपए व वारिस को शासकीय नौकरी देने की घोषणा कर शासन ने तुष्टीकरण की राजनीति की है।
इस घटना के कारण वनकर्मियों में नाराजगी है। इसके विरोध में धार जिले के वनकर्मियों द्वारा शासकीय बंदूके व कारतूस धार मांडू रोड स्थित कार्यालय में जमा करवा दी। वन विभाग के कर्मचारियों ने मांग की है कि जब तक सरकार बंदूक चलाने का अधिकार नहीं देती, तब तक यह शस्त्र उन्हें प्रदान नहीं किए जाए। इस दौरान वनकर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष जितेंद्रसिंह गौड़ सहित बड़ी संख्या में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।