Oscar Trophy Price: दुनिया के सबसे बड़े फिल्म अवॉर्ड ‘ऑस्कर्स’ एंटरटेनमेंट जगत में सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स में से एक माना जाता है। ऑस्कर की ट्रॉफी को पाने के लिए सितारें ने जाने कितने जतन करते हैं।
इस अवॉर्ड को पाने के लिए सितारें बरसों मेहनत करते हैं। हर एक कलाकार चाहता है कि वो सोने सी चमचमाती ऑस्कर की ट्रॉफी को हाथों में उठाए और इसके लिए वो जी तोड़ मेहनत भी करते हैं।
ऑस्कर के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं सितारें
हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड और पूरी दुनिया के लोग ऑस्कर की खातिर इतनी मेहनत करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस ट्रॉफी के लिए क्रिएटिव लोग इतनी मेहनत करते हैं, उसकी कीमत क्या है? इस ट्रॉफी की कीमत जानकर आपको हैरानी होगी, क्योंकि इसके बदले आपको भरपेट खाना तो दूर, अपनी पसंद की एक डिश भी नहीं मिल सकेगी।
इतनी है ऑस्कर की चमचमाती और सुनहरी ट्रॉफी की कीमत
ऑस्कर की चमचमाती और सुनहरी ट्रॉफी को देखकर हर किसी को लगता है कि वो बहुत ही ज्यादा महंगी होगी, लेकिन ऑस्कर की इस ट्रॉफी की कीमत बमुश्किल एक डॉलर है। जी हां एक डॉलर यानी कि 81.89 रु.. जिसके बदले आपको एक वक्त का भरपेट खाना तो दूर की बात, आप जी भर के अपनी फेवरेट डिश भी नहीं खा सकते।
बावजूद इसके सितारे इस ट्रॉफी के लिए दीवाने हैं। इतना ही नहीं बल्कि इतनी सस्ती ट्रॉफी को कोई भी बड़े से बड़े सितारा चाह कर भी बेच नहीं सकता और न ही इसे नीलाम कर सकता है।
ऑस्कर की ट्रॉफी को बेचने या नीलाम करने की इजाजत किसी को नहीं
बता दें कि भले ही ऑस्कर की ट्रॉफी सस्ती हो, लेकिन इसे हासिल करने के लिए ना जाने कितने सालों की मेहनत करनी पड़ती हैं। साथ ही इसे बेचने या नीलाम करने की कोशिश और भी भारी पड़ सकती है। बता दें कि ऑस्कर की ट्रॉफी को बेचने या नीलाम करने की इजाजत किसी को भी नहीं है।
ऑस्कर को बनाने में खर्च होते हैं इतने रूपये
साथ ही अगर कोई इसे जीतने के बावजूद नहीं रखना चाहता तो उसे एक डॉलर में ही इस एकेडमी को ही बेचना होगा। इसके साथ ही सबसे हैरानी की बात ये हैं कि ऑस्कर को बनाने में 32 हजार रु तक खर्च होते हैं, लेकिन इसे खरीदने की कीमत एकेडमी ने सिर्फ एक डॉलर ही तय की है।
ऐसे बनती हैं ऑस्कर की ट्रॉफी
बता दें कि ऑस्कर की ट्रॉफी पर सुनहरी रंगत सॉलिड ब्रॉन्ज से मिलती है और इसके बाद इसको 24 कैरेट सोने से कोट कर दिया जाता है। हालांकि तकनीक के साथ साथ इसे बनाने के तरीके भी बदले हैं। इसके साथ ही इसे थ्री प्रिंटर से बनाकर वैक्स से कोट किया जाता है, जब वैक्स ठंडा हो जाता है तब इसे सिरेमिक शेल से कोट कर दिया जाता है।
इसके बाद फिर ये ट्रॉफी कुछ दिन तक 1600 डिग्री F पर रख कर तपाई जाती है, तब जाकर ये लिक्विड ब्रॉन्ज में ढलती है। इसके बाद इसे ठंडा करने के बाद इस पर सोने का पानी चढ़ाया जाता है। साथ ही हर ट्रॉफी की लंबाई 13.5 इंच और वजन 8.5 पाउंड होता है और एक ट्रॉफी को बनने में 3 महीने तक का समय लग जाता है।