वेश्यावृत्ति और शहरों में पशुपालन पर रोक है, लेकिन नगर निगम को इन दोनों का लाइसेंस देने का अधिकार भी है। यह और दूसरे गैर जरूरी प्रावधानों को हटाया जा रहा है। 1956 में बना नगर पालिक निगम अधिनियम और 1961 में बना नगर पालिका अधिनियम को मिलाकर नया एक्ट बनाया जा रहा है। इस एक्ट में शहरों की बदलती जरूरत के हिसाब से कई नए प्रावधान जोड़े जा रहे हैं।
नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने मप्र राज्य भूमि सुधार आयोग को नया एक्ट बनाने की जिम्मेदारी दी है। आयोग ने नए एक्ट का ड्राफ्ट विभाग को सौंप दिया है। इस पर विभाग की एक टीम मंथन कर रही है। निगम कमिश्नरों और नगर पालिकाओं के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से भी सुझाव मांगे गए हैं। 67 साल पहले बना नगर पालिक निगम अधिनियम और 62 साल पहले बना नगर पालिका अधिनियम के कई प्रावधान वर्तमान में उपयोगी नहीं हैं।
यह प्रावधान हो रहे शामिल, शहर में प्रदूषण पर नियंत्रण भी नगर निगम की जिम्मेदारी होगी
- शहर में प्रदूषण पर नियंत्रण भी नगर निगम की जिम्मेदारी होगी। नगर निगम आयुक्त को हर साल बजट के साथ पर्यावरण रिपोर्ट पेश करना पड़ेगी।
- नगर निगम कई योजनाएं पीपीपी के आधार पर बनाते हैं। सफाई व्यवस्था अब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों के अनुसार संचालित होती है, लेकिन मौजूदा एक्ट में इन दोनों का उल्लेख नहीं है। नए एक्ट में इसे जोड़ा जा रहा है।
- मास्टर प्लान बनाने का अधिकार स्पष्ट रूप से नगरीय निकायों को दिया जा रहा है। मौजूदा एक्ट में यह लिखा है कि सरकार चाहे तो यह अधिकार दे सकती है।
अभी भोपाल और इंदौर में ही आईएएस है निगमायुक्त
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन नगर निगम में कमिश्नर का पद डिप्टी सेक्रेटरी स्तर के आईएएस अफसर के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया जा रहा है। फिलहाल भोपाल और इंदौर में निगमायुक्त आईएएस से हैं, लेकिन पदों का बंटवारा एक्ट नहीं बल्कि कैडर मैनेजमेंट से तय होता है। पहली बार है जब किसी एक्ट में ऐसा प्रावधान हाे जा रहा है।
नियंत्रण के नाम पर लाइसेंस
नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 364 में वेश्यावृत्ति पर नियंत्रण के नाम पर लाइसेंस देने का अधिकार है। अब इसे हटाया जा रहा है।
पशु पालने पर रोक, लेकिन लाइसेंस देने का अधिकार
शहर के भीतर गाय, घोड़ा जैसे पशु पालने पर रोक है,लेकिन नगर निगमों को अधिकार है कि वे इसके लिए लाइसेंस जारी कर सकते हैं। इनकों खुला छोड़ने पर जुर्माने का प्रावधान भी शामिल हैं।
एक सवाल यह भी- व्यवस्थाएं एक समान कैसे होंगी
दोनों कानून को एक करके नए कानून बनाने पर विचार-विमर्श जारी है। जहां एक तरफ कहा जा रहा है कि ननि एक्ट और नगर पालिका एक्ट पुराने हो गए हैं, इसलिए नए कानून की जरूरत है। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि छोटे और बड़े शहर की व्यवस्थाएं एक समान कैसे होंगी? इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में पशुपालन पर रोक हो सकती है, लेकिन हर नगर पालिका और नगर परिषद में यह संभव नहीं है, वहां बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी हुई है।
हमने ड्राफ्ट पर सुझाव मंगवाए हैं
नए एक्ट का ड्राफ्ट मिल गया है। इस पर निकायों से सुझाव मंगवाए हैं। इसके बाद फाइनल ड्राफ्ट शासन को भेजा जाएगा और विधानसभा से पारित होने के बाद लागू होगा।
-भरत यादव, कमिश्नर, नगरीय प्रशासन विभाग