बिलकिस रेप केस…दोषियों की रिहाई के खिलाफ SC में सुनवाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, अगली सुनवाई 18 अप्रैल को

बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने गुजरात सरकार को दोषियों को छूट देने वाली रिलेवेंट फाइलों के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया हैं।

इससे पहले दिसंबर 2022 में मामले की सुनवाई करने वाली बेंच से जज बेला माधुर्य त्रिवेदी ने अपना नाम अलग कर लिया था। इसी वजह से सुनवाई टाल दी गई थी

दो दिन पहले केस के एक दोषी शैलेश चिमनलाल भट्ट (लाल घेरे में) को भाजपा सांसद जसवंत सिंह भाभोर और MLA शैलेश भाभोर के साथ मंच पर देखा गया।
दो दिन पहले केस के एक दोषी शैलेश चिमनलाल भट्ट (लाल घेरे में) को भाजपा सांसद जसवंत सिंह भाभोर और MLA शैलेश भाभोर के साथ मंच पर देखा गया।

15 अगस्त को रिहा किए गए थे रेप के दोषी
बानो की वकील शोभा गुप्ता ने नई बेंच बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से कई बार अपील की। नई बेंच बनाने की बार-बार अपील करने पर CJI भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि मामले में जल्द सुनवाई नहीं होगी, परेशान न करें। इसके बाद 22 मार्च को कोर्ट ने बताया कि नई बेंच सुनवाई के लिए तैयार है।

दरअसल, 2002 के गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के दोषियों को पिछले साल 15 अगस्त को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। इसी के खिलाफ बानो ने 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

बिलकिस ने दाखिल की थीं दो याचिकाएं
बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है? गुजरात सरकार की माफीनामा पॉलिसी के खिलाफ बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है ताकि उनके दोषियों को फिर से जेल भेजा जा सके।

मामले में महुआ मोइत्रा में याचिका दाखिल कर चुकी हैं
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कुछ जनहित याचिकाएं दाखिल कर दोषियों की रिहाई पर फिर विचार करने की मांग की गई थी। ये याचिकाएं नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, पत्रकार रेवती लाल और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दाखिल की थीं।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।

दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

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