राइट-टू-हेल्थ बिल का विरोध उज्जैन में भी शुरू हो गया है। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स ने सोमवार को काली पट्टी बांधकर बिल का विरोध तो किया ही एक घंटे तक मरीजों को चिकित्सकीय सेवाएं भी नहीं दी। ऐसे में मरीजों को सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक इलाज नहीं मिल पाया। डाॅक्टर जिला अस्पताल में स्थित आरएमओ कार्यालय में जाकर बैठ गए। बिल का विरोध करते हुए डॉक्टर्स ने कहा कि इसके लागू होने से छोटे अस्पताल व क्लीनिक बंद हो जाएंगे। जिला अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं को दक्ष बनाए जाने की बजाए निजीकरण किया जा रहा है। माधवनगर अस्पताल में बनाए गए ट्रामा यूनिट में ट्रेंड टेक्नीशियन व डॉक्टर्स की पोस्टिंग कर संचालन शुरू किए जाने की आवश्यकता है लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अनिल भार्गव का कहना है कि जिला अस्पताल या अन्य सरकारी अस्पतालों में संसाधन व मैन पॉवर बढ़ाकर यहां की व्यवस्थाओं को ठीक किए जाने की आवश्यकता है। बिल के तहत यदि कोई मरीज किसी क्लीनिक या पैथालॉजी लैब या सोनोग्राफी सेंटर व एक्स-रे सेंटर पर जांच के लिए जाता है और उसे अस्पताल में भर्ती किए जाने की नौबत आती है तो उसके लिए संबंधित क्लीनिक संचालक या सेंटर्स के संचालक को मरीज को हॉस्पिटल में शिफ्ट किए जाने के लिए एम्बुलेंस का इंतजाम करना होगा। राइट-टू-हेल्थ बिल का विरोध राजस्थान में शुरू होने के बाद उज्जैन के भी डॉक्टर्स ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले दिन काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। उन्होंने चेताया है कि इस तरह का बिल मप्र में लाया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।