भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के विरोध में उतरा जनजातीय संगठन

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चुराचांदपुर। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के एक जनजातीय संगठन ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का कड़ा विरोध ‎किया है। संगठन ने कहा कि वह भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले का विरोध करेगा। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने एक बयान में कहा कि संगठन ने जिला मुख्यालय में स्थानीय लोगों के साथ शनिवार को एक सभा का आयोजन किया था। इस दौरान भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवागमन व्यवस्था को रद्द करने के केंद्र के फैसले का विरोध करने का संकल्प लिया गया। दरअसल मुक्त आवागमन व्यवस्था सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक की यात्रा करने की अनुमति देती है। इसमें भारत के चार राज्य- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम, म्यांमा के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा के दायरे में आते हैं। संगठन के बयान में कहा गया कि आईटीएलएफ ने कुकी जो समुदाय के लोगों के राजनीतिक भविष्य के लिए मिजोरम सरकार से मुलाकात करने का भी फैसला किया। बता दें ‎कि म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद यहां के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। इनमें से ज्यादातर चिन राज्य से हुड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 जनवरी को गुवाहाटी में कहा था कि सरकार भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की मुक्त आवागमन व्यवस्था को समाप्त कर देगी और सीमा पर बाड़ लगाएगी। संगठन द्वारा इसका ‎विरोध ‎किया जा रहा है।

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