हितग्राहियों का साथ, कांग्रेस का सूपड़ा साफ

भोपाल । भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए रोड मैप तैयार कर लिया है। हाल ही में 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव ट्रायल रन की तरह थे जो भगवा दल के लिए प्लान के मुताबिक ही गए। पार्टी आलाकमान अब उस रणनीति को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है जिससे उसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शानदार सफलता मिली है। आगामी लोकसभा चुनाव से भाजपा की इस जीत ने निश्चित तौर पर पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह और बढ़ा दिया है। जानकारों का कहना है कि भाजपा ने पहले ही बड़े पैमाने पर काम शुरू कर दिया है। देश भर के मतदाताओं को पार्टी की ओर आकर्षित करने को लेकर कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। इस दौरान देश में 80 करोड़ और मप्र में ढाई करोड़ उन लोगों पर फोकस किया जाएगा जो सरकारी योजनाओं के लाभार्थी रहे हैं। पार्टी की ओर से करीब 300 कॉल सेंटर पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर जिला भाजपा कार्यालयों में हैं। इनका इस्तेमाल मिस्ड कॉल देकर भाजपा में शामिल होने वाले लोगों से जुडऩे के लिए हो रहा है। इसके जरिए उन लोगों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा जो पार्टी में सक्रिय रूप से योगदान देना चाहते हैं। इसके बाद इन लोगों को सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से जोड़ा जाएगा।
भाजपा ने इस लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस रणनीति के तहत पार्टी मप्र की सभी 29 सीटों को जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। इस रणनीति को सफल बनाने के लिए भाजपा ने प्रदेश के ढाई करोड़ लाभार्थियों को साथ लाने के अभियान में जुटी हुई है। रणनीतिकारों का मानना है कि हितग्राहियों का साथ मिल जाएगा तो मप्र में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। भाजपा आलाकमान का पार्टी कार्यकर्ताओं और कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों पर फोकस रहा है। इससे भाजपा ने उन तीन राज्यों में खेल बदल दिया जहां उसे कांग्रेस से टक्कर मिलने की उम्मीद थी। अब देश भर में जीत के इस फॉर्मूले का विस्तार किया जाएगा। गौरतलब है कि चुनावी राज्यों में भाजपा ने सफलता के फार्मूले के रूप में लाभार्थी मतदाताओं से संपर्क किया। तीनों राज्यों के लिए अलग-अलग रणनीति अपनाई गई। एमपी में 90 विधानसभा सीटों पर फोकस किया गया, जहां भाजपा का प्रभाव भी था। वहां यह अभियान पीएम आवास, पीएम किसान और लाडली बहना जैसी कुछ सरकारी योजनाओं पर केंद्रित था। 1 करोड़ 30 लाख लाडली बहना लाभार्थियों से 30 लाख 50 हजार कार्यकर्ता नेटवर्क के जरिए संपर्क किया गया। पार्टी ने हिसाब लगाया था कि एक लाभार्थी कम से कम दो-तीन वोट प्रभावित कर सकता है।
ढाई करोड़ लोगों को जोडऩे का प्लान
बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान ने देशभर में लाभार्थी सूची में और 70 मिलियन (7 करोड़) और लोगों को जोडऩे का प्लान बनाया है। मप्र में भाजपा की नजर उन ढाई करोड़ मतदाताओं पर है, जो हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ अर्जित कर चुके है। पार्टी ने उन पर मजबूती से अपनी पकड़ बनाने की तैयारी कर ली है। इसको लेकर पूरी योजना तैयार है और उस पर अमल भी शुरू हो गया है। भाजपा नेताओं ने हितग्राहियों यानी मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए उनसे वर्चुअली और एक्चुअली मिलने का अभियान भी शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि मप्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने 2006 में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की थी। इस योजना के जरिए पैदा होने वाली बच्चियों को लखपति चनाने की थी। लखपति बनने वाली लाडली बेटियों में से ज्यादातर अब 18 साल की हो गई हैं और उनका नाम साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयार की गई मतदाता सूची में जुड़ गया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना से जुड़ी बेटियों की संख्या तकरीबन 40 लाख है। साल 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक से पहले भाजपा सरकार ने मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत प्रदेश की लाड़ली बहनों के खाते में 120 रुपए प्रतिमाह डाले जा रहे हैं। लाड़ली बहना योजना का लाभ प्रदेश की एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को मिल रहा है। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद किसानों को तकरीबन छह हजार रुपए साल में दिए जा रहे है। राज्य की भाजपा सरकार ने इसमें चार हजार रुपए अपनी तरफ से दे रही थी। यानी मध्यप्रदेश के किसानों के खाते में साल में दस हजार रुपए जमा होते थे। साल 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले राज्य की भाजपा सरकार ने चार हजार रुपए की राशि को बढ़ाकर छह हजार रुपए कर दिया है। यानी अब किसानों को साल में 12 हजार रुपए मिल रहे हैं। केंद्र की योजनाओं में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान दिए जा रहे हैं। उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत गैस कनेक्शन लेने वालों को भी रियायत दी जा रही है। इस तरह से प्रदेश में कुल लाभार्थियों की संख्या ढाई करोड़ के ऊपर है। लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना योजना के जरिए मध्यप्रदेश में महिला मतदाताओं पर भाजपा की नजर पहले से है। प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा कल मतदाता हैं, जिन पर महिला मतदाताओं की संख्या दो करोड़ 72 लाख से ज्यादा है। भाजपा उन्हें लुभाने के लिए लोकसभा चनाव से पहले अभियान चलाने जा रही है। इस पर पार्टी का खास फोकस है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने हितग्राहियों की सूची तैयार कर उन्हें मतदाता के तौर पर अपने पाले में लाने की मुहिम शुरू की है। पार्टी के अलग-अलग बिंग के नेताओं को सूची भेजी गई है। वे मतदाताओं से खुद मिल रहे हैं। उसके अलावा फोन पर अथवा सोशल मीडिया के जरिए मैसेज कर उनके तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। पार्टी इसका सीधा लाभ लोकसभा चनाव में उठाना चाहती है।
मतदान केंद्र तक पहुंचे लाभार्थी
विधानसभा चुनाव के दौरान भी हितग्राहियों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया था, जो सफल रहा। वोटिंग वाले दिन, मतदान केंद्रों पर काउंटर स्थापित करने से लेकर लाभार्थी मतदाताओं को लाने तक, सब कुछ पार्टी कार्यकर्ता ऐप पर तुरंत अपडेट कर रहे थे। मध्य प्रदेश में, लाडली बहना योजना के लाभार्थियों और महिला मतदाताओं का मतदान पहले भाग में धीमा था लेकिन दोपहर बाद बढ़ गया। एमपी में यह योजना 88 प्रतिशत तक क्रियान्वित हुई थी, जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में यह 70 प्रतिशत लागू हो सकी थी। बहरहाल, लोकसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा बाज़ी मारती दिख रही है और दूसरी तरह इंडिया गठबंधन यानी विपक्ष अभी तक अपने मतभेदों को सुलझाने में लगा है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव 2024 बहुत आसान होने जा रहा है। अगर हाल के विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस को मिले कुल वोटों में ज्यादा दूरी नहीं है। कांग्रेस को 40 फीसदी वोट तो मिले ही हैं। जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव में 38 फीसदी वोट हासिल कर सरकार बना ली थी।

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