मप्र में विकास की गति दोगुना बढ़ाने पर जोर

भोपाल । मप्र में तेजी से आर्थिक विकास हो रहा है। पिछले 20 वर्षों में राज्य में तेज गति से आर्थिक विकास देखने को मिला है। अब प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार पांच साल में विकास की गति दोगुना बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए पांच वर्ष बाद यानी वर्ष 28-29 में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यानी वर्तमान मप्र सरकार ने अगले पांच साल में अपने बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विधानसभा में हाल में मप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई मौकों पर अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट 7 लाख करोड़ रुपए वार्षिक तक ले जाने का ऐलान कर चुके हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का कार्य चुनौतीपूर्ण है। सरकार जिस अनुपात में अपना बजट बढ़ाना चाहती है, उसी अनुपात में उसे अपने राजस्व में वृद्धि करना होगी। यह संभव नहीं है कि सरकार का खर्च बढ़ जाए और उसकी आय में वृद्धि न हो।
अगर आकलन किया जाए तो पिछले 20 साल में मप्र की जीडीपी करीब 20 गुना बढ़ी है। 2003 में भाजपा सरकार बनने के समय राज्य की जीडीपी यानी 71,594 करोड़ रुपये थी, जो कि शिवराज सरकार के दौरान बढक़र 13,22,821 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं, वर्ष 2003 मे प्रदेश की आर्थिक विकास दर4.43 प्रतिशत  हुआ करती थी, वर्ष 2023 में 16.43 प्रतिशत पर आ गई है। इसके साथ ही प्रति व्यक्ति आय जो वर्ष 2003 में मात्र 11,718 रुपये हुआ करती थी, वर्ष 2023 तक शिवराज सरकार में 1 लाख 40 हजार रुपए हो गई है। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि वर्ष 28-29 में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ करने का लक्ष्य पूरा हो सकता है।

20 वर्ष में बजट 10 गुना से ज्यादा बढ़ा

2003 से अब तक यदि मप्र की आर्थिक रफ्तार पर नजर डाले तो उसमें आमूलचूल परिवर्तन नजर आता है। मप्र का 2003 में बजट 23 हजार करोड़ रुपए था जो अब बढक़र 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए हो गया है। जबकि 2024 में  3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मप्र सरकार ने अगले पांच साल में अपने बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया वह पूरा हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाए बगैर सरकार के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा। अगर सरकार पांच साल में अपने बजट को दोगुना करने में सफल होती है, तो यह प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। सरकार ने विधानसभा में 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मप्र को जीएसटी से 51,557 करोड़ तो 2024-25 61,026 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। राज्य उत्पाद शुल्कसे 2023-24 में 13,845 करोड़, 2024-25 में 16,000 करोड़ स्टाम्प व पंजीकरण शुल्क से 2023-24 में 10,400 करोड़, 2024-25 में 12,500 करोड़, वाहन कर से 2024-25 में 2023-24 में 4,440 करोड़, 2024-25 में 5,500 करोड़, विद्युत कर व शुल्क से 2023-24 में 3,858 करोड़, 2024-25 में 5,000 करोड़, अन्य प्राप्तियां से 2023-24 में 2,400 करोड़ और 2024-25 में 2,071 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।

विभागों को 8 महीने के लिए 2.20 लाख करोड़

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 3 जुलाई को विधानसभा में मप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2024-25 का 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। बजट की राशि पिछले साल से 16 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार का पिछला बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का था। बजट भले ही 3.65 लाख करोड़ का है, लेकिन विभागों को 2.20 लाख करोड़ में से राशि आवंटित की जाएगी। दरअसल, 3.65 लाख करोड़ रुपए के बजट में लेखानुदान की 1.45 लाख करोड रुपए की राशि भी शामिल है। सरकार ने मार्च में विधानसभा में 1.45 लाख करोड़ का अंतरिम बजट पेश किया था। इसमें चार महीने (अप्रैल से जुलाई तक) के लिए विभागों को खर्च के लिए राशि आवंटित की गई थी। इस तरह 3.65 लाख करोड की बजट राशि में से 1.45 करोड रुपए लेप्स हो जाएंगे। बची हुई 2.20 लाख करोड़ रुपए विभागों को 8 महीने के लिए आवंटित किए जाएंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही विभागों को बजट की राशि आवंटित की जाएगी। विभाग इस राशि का उपयोग अगस्त से मार्च, 2025 तक खर्च कर सकेंगे।

हर साल 75 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि

आगामी पांच साल में सालाना बजट सात लाख करोड़ तक पहुंचाने के लिए सरकार को हर साल बजट में करीब 75 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि करना होगी। इससे विभागों को और ज्यादा राशि आवंटित होने से विकास कार्यों के लिए भी ज्यादा राशि मिल सकेगी। आर्थिक विशेषज्ञ व भारत आर्थिक परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. देवेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि निश्चित ही मप्र को विकास के मार्ग पर तेजी से आगे ले जाने के लिए बजट में वृद्धि करना जरूरी है, लेकिन बजट की राशि बढ़ाने के लिए सरकार को उसी अनुपात में अपनी आय भी बढ़ानी होगी। चूंकि केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है, इसलिए आने वाले वर्षों में प्रदेश को केंद्रीय करों में मिलने वाले हिस्से में वृद्धि की संभावना है, लेकिन यह राशि फिक्स होती है। सिर्फ इसके भरोसे मप्र सरकार बजट नहीं बढ़ा सकती। उन्होंने कहा कि सिर्फ टैक्स में वृद्धि राजस्व बढ़ाने का तरीका नहीं है। ऐसा सिस्टम डवलप करना होगा कि टैक्स की ठीक से वसूली हो और हर पात्र व्यक्ति टैक्स देने से वंचित न रहे। सरकार को मिनिमम टैक्स, मैक्सिमम कलेक्शन की पॉलिसी अपनानी होगी और प्राप्त होने वाले राजस्व का सही तरीके से उपयोग हो, इस पर गंभीरता से काम करना होगा। जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश सरकारों की आय के साधन कम हो गए है। मप्र सरकार को भी चुनिंदा मदों से ही राजस्व मिल रहा है। इनमें एसजीएसटी, आबकारी, खनिज, विद्युत टैक्स, पेट्रोल-डीजल पर वैट, स्टांम्प व पंजीकरण, वाहन कर आदि शामिल हैं, लेकिन इनमें भी कई तरह के लीकेज हैं, जिन्हें रोककर सरकार राजस्व में वृद्धि कर सकती है। उदाहरण के तौर पर अवैध खनन, अवैध शराब बिक्री आदि से सरकार को बड़ी आर्थिक हानि हो रही है। सरकार को इस पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। साथ ही विशेषज्ञों के साथ बैठकर ऐसा सिस्टम डेवलप करना चाहिए कि व्यापारी या उद्यमियों द्वारा की जा रही टैक्स की चोरी को रोका जा सके।

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