शिवपुरी के भावखेड़ी गांव में शनिवार को 6 साल के हरिओम पुत्र नरेंद्र यादव का अपहरण किया गया था। बच्चे को अगवा करने वाले गांव के ही बेरोजगार युवक निकले। अपहरणकर्ता अक्ल सिंह यादव, भूरा यादव और सुनील शाक्य ने फिरौती की रकम से काम धंधा शुरू करने का प्लान बनाया था। उन्हें उम्मीद थी कि हरिओम के पिता पूर्व सरपंच रहे हैं, इसलिए अच्छा माल मिलेगा। उनका प्लान इस लिए सक्सेस नहीं हुआ कि पिता पुलिस के पास पहुंच गए। पुलिस ने सर्चिंग शुरू की तो 6 घंटे में ही बच्चे को खेत में छोड़ कर भाग निकले। लड़के ने ही घर लौटकर अपने अपहरण की कहानी बता दी।
इंटरनेट से सीखा पुरानी सिम चालू करना
आरोपियों को यह पता था कि अगर वह फिरौती वसूल करने के लिए अपनी सिम का प्रयोग करेंगे तो पकड़े जाएंगे। इसलिए उन्होंने सबसे पहले किसी और की बंद पड़ी सिम का जुगाड़ किया। सिम को चालू करने की तरकीब आरोपियों ने इंटरनेट से खोजा। सिम को रिचार्ज करने के बाद पूर्व सरपंच को कॉल कर फिरौती मांगी।
ऐसे आए गिरफ्त में
पुलिस ने जिस नंबर से पिता को कॉल आया, उसकी लोकेशन ट्रैस की तो लोकेशन गांव के पास ही निकली। लोकेशन मिलते ही पुलिस ने घेराबंदी कर दी। इधर, दिनभर से गायब घरवाले भी आरोपियों को कॉल करने लगे। पुलिस की भनक लगते ही वे डर गए और मासूम को खेत में छोड़कर भाग निकले। मासूम ने घर लौटकर बताया कि भूरा यादव उसे लेकर गया था। इसके बाद पुलिस ने तीनों को दबोच लिया।
खेत में खिलाते रहे, ताकि बच्चे को शक न हो
अपहरण के बाद आरोपी बच्चे को गांव के बाहर खेत पर ले गए। बच्चे काे शक नहीं हाे इसलिए वे उसके साथ लुकाछिपी का खेल-खेलते रहे। पुलिस के आने की भनक लगी ताे बच्चे काे छिपने का कहते हुए कहा कि आपको पकड़ने कोई और आ रहा है, छिप जाओ… आवाज नहीं करना।
दाे महीने तक प्लानिंग, उसके दोस्त को बनाया ढाल
अपहरण का प्लान आरोपी दो महीने से बना रहे थे। इसके लिए उन्होंने गांव के 11 साल के नाबालिग को ढाल बनाया। बच्चा नाबालिग के साथ साइकिल पर घूमता था, इसलिए आरोपियों ने उसे मोबाइल दिलाने का लालच दिया था। उसे बच्चे काे साइकिल पर बिठाकर गांव के बाहर लाने काे कहा था।