सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने की वजह से मरीजों के इलाज में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है।
राजधानी के जेपी अस्पताल के डॉक्टर, नर्स मिलाकर 26 लोग पॉजिटिव हैं। इनके संक्रमित होने की वजह से ओपीडी, वार्ड, फीवर क्लीनिक, इमरजेंसी समेत हर जगह इलाज में दिक्कत आ रही है। जेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ राकेश श्रीवास्तव जी संक्रमित हो गए हैं। उन्हें 10 जनवरी को सतर्कता डोज लगी थी। हालाकि, उन्हें कोई लक्षण नहीं है। वह पिछले साल भी संक्रमित हुए थे।
जेपी अस्पताल में 15 दिन के भीतर डॉक्टर नर्स, वार्डबॉय, टेक्नीशियन समेत 46 लोग पॉजिटिव आ चुके हैं। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल संक्रमित मरीजों में 5 डॉक्टर और 16 नर्स शामिल हैं। कोरोना का संक्रमण शुरू होने के बाद पहली बार है जब अस्पताल में इतने स्वास्थ्यकर्मी पॉजिटिव आए हैं। जेपी अस्पताल में इस समय हर दिन 2000 से 2700 के बीच मरीज ओपीडी और इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। इनमें करीब 500 मरीज सर्दी-जुकाम और बुखार वाले होते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत फीवर क्लीनिक में हो रही है। यहां पर 400 से ज्यादा कोरोना संदिग्ध हर दिन इलाज और जांच कराने के लिए पहुंचते हैं लेकिन जांच के लिए सिर्फ एक खिड़की है। इस कारण संदिग्धों को जांच कराने में एक से डेढ़ घंटे लग रहे हैं। यही स्थिति पर्चा बनवाने में है। इसके लिए भी सिर्फ एक खिड़की है। इस कारण जांच के लिए पर्चा बनवाने में आधे घंटे लगते हैं। इनमें कई मरीज बुखार वाले भी रहते हैं, जिनके लिए 2 घंटे खड़ा रहना बेहद कठिन होता है।
हमीदिया अस्पताल के 15 कंसल्टेंट और 30 नर्स कोरोना संक्रमित
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के डीन डा अरविंद राय ने बताया कि कॉलेज के 15 कंसलटेंट (बड़े डॉक्टर) फिलहाल संकलित हैं। इसके अलावा जूनियर डॉक्टर और सीनियर रेसिडेंट को भी शामिल कर लिया जाए तो संक्रमित चिकित्सकों का आंकड़ा 50 से ऊपर है। इनके अलावा 30 नर्स भी कोरोना से संक्रमित हैं। कंसल्टेंट के नहीं होने की वजह से ओपीडी और ऑपरेशन में मरीजों को दिक्कत हो रही है।