माघ मास की मौनी अमावस्या इस बार 1 फरवरी को महोदय योग की साक्षी में आएगी। इस दिन प्रयागराज में गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
धर्मशास्त्र की मान्यता यह भी कहती है कि जिस तीर्थ पर श्रद्धालु मौजूद हैं, उस तीर्थ पर गंगा ध्यान करके स्नान करने से गंगा स्नान का महापुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण व ब्राह्मणों को भेंट दक्षिणा के साथ सीधा दान करने से परिवार में सुख समृद्धि तथा पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार 1 फरवरी को मंगलवार के दिन अमावस्या तिथि, नागकरण, व्यतिपात योग तथा मकर राशि का चंद्रमा होने से महोदय नामक योग का निर्माण हो रहा है। महादेय का अर्थ है महा उदय, ऐसी मान्यता है कि महाेदय योग में तीर्थ स्नान करके पितरों के निमित्त देव, ऋ षि,पितृ पर्तण कर के उपरांत वैदिक ब्राह्मणों को दक्षिणा व सीधा दान करना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति के साथ बाधाओं का निवारण तथा आर्थिक प्रगति तथा परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।
उज्जैन की शिप्रा व नीलगंगा में स्नान का महत्व
मौनी अमावस्या पर उज्जैन की शिप्रा नदी तथा नीलगंगा सरोवर में स्नान का महत्व है। धर्मशास्त्रीय मान्यता में नीलगंगा शिप्रा का वह स्थान है, जहां माता गंगा अपने दोषों की निवृत्ति के लिए शिप्रा में स्नान करने आई थी। ऐसे में शिप्रा गंगा से युत नीलगंगा सरोवर में स्नान करने से गंगा स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है।
ब्राह्मण भोजन की सामग्री है सीधा
पं.डब्बावाला के अनुसार जिन लोगों के यहां अमावस्या, पूर्णिमा तथा पर्व त्योहारों पर ब्राह्मण भोजन कराने में किसी प्रकार की परेशानी हो, तो वे सीधा दान कर सकते हैं। भोजन बनाने की कच्ची सामग्री को सीधा कहते हैं। इसमें आटा, दाल, शकर, शुद्ध घी, मसाले, शाक आदि अपनी सामर्थ अनुसार ब्राह्मण को दान करने का विधान बताया गया है। सीधा दान करने से ब्राह्मण को भोजन कराने के समान ही पुण्य प्राप्त होता है।