चरक में रैफर केस पर लगेगा ब्रेक – कितनी गर्भवती महिलाएं रैफर, एक-एक केस की होगी जांच, बेवजह रैफर किया तो होगी कार्रवाई

जिला अस्पताल के अंतर्गत संचालित चरक अस्पताल में अब तक कितनी गर्भवती महिलाओं को रैफर किया गया है, इसकी क्या वजह रही। एक-एक केस की जांच की जाएगी। इसके लिए सिविल सर्जन ने कमेटी गठित कर दी है जो कि जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी। बगैर ठोस कारण के रैफर करना पाया गया तो संबंधित डॉक्टर व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

चरक अस्पताल से हर दिन तीन से चार गर्भवती महिलाओं को इंदौर रैफर कर दिया जाता है। ऐसे में एजेंट के माध्यम से प्राइवेट एम्बुलेंस बुलाई जाकर महिला को स्थानीय प्राइवेट अस्पताल में ले जाया जाता है। खास बात तो यह भी सामने आई है कि जिन महिलाओं को गंभीर बताकर रैफर किया जाता है, उनकी प्राइवेट अस्पताल में नार्मल डिलीवरी हो रही है यानी जानबूझकर रैफर किया जा रहा है।

लेकिन अब अस्पताल प्रशासन ने कमेटी गठित कर दी है जो कि हर केस की जांच करेगी। जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि किस महिला को किन कारणों के चलते रैफर किया गया। ठोस वजह नहीं पाई जाने पर कार्रवाई होगी।

गंभीर, मां-बच्चे की जान को खतरा बताते हैं

चरक से हर माह 100 से डेढ़ सौ महिलाओं को रैफर किया जा रहा है। इसमें से अधिकांश को गंभीर, रिस्की और मां-बच्चे की जान को खतरा बताकर रैफर किया जाता है। जांच का विषय यह भी है कि जिन महिलाओं को गंभीर स्थिति बताकर हायर सेंटर भेजा जाता है उनकी प्राइवेट अस्पताल में नार्मल डिलिवरी हो जाती है।

मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जो डिलिवरी प्राइवेट अस्पताल में नार्मल हो सकती है वह चरक में क्यों नहीं? जबकि यहां पर अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर और राउंड द क्लाक स्त्री रोग विशेषज्ञ की ड्यूटी रहती है। इसके अलावा ऑन काल भी विशेषज्ञ उपलब्ध रहते हैं, जो कि गंभीर केस में परामर्श देते हैं।

सीएस बाेले- कार्रवाई होगी

सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा ने बताया रैफर केस की जांच के लिए कमेटी गठित की है जो कि सभी केस की जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी। एक-एक केस की जांच होगी। उन्होंने बताया कि रैफर केस सामने आने के बाद एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को चरक अस्पताल से केंद्रिय जेल भैरवगढ़ जेल में पदस्थ कर दिया है। अब कठोर निर्णय लेते हुए कार्रवाई की जाएगी।

सेक्स रैकेट का मामला भी हो चुका उजागर

अस्पताल में सेक्स रैकेट का मामला भी सामने आ चुका है। पुलिस को दिए बयान में एक युवती ने कहा था कि अस्पताल में ले जाकर मेरे साथ गलत काम किया जाता रहा है। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई की थी लेकिन अभी भी यहां पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं।

प्राइवेट गार्ड सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाते है और पुलिस जवान भी घटना होने के बाद मौके पर पहुंचते हैं। यहीं नहीं अस्पताल के बाहर अवैध ठेले-गुमटी का संचालन हो रहा है, जहां पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता हैं। अस्पताल की पार्किंग में दूसरे राज्यों की गाड़ियों की पार्किंग हो रही है।

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