ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में इस बार 21 फरवरी से शिव नवरात्र महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। बीते वर्षों में कोविड गाइडलाइन के प्रतिबंधों के चलते उत्सव में श्रद्घालुओं की उपस्थिति कम या नहीं होने से उत्सव का उल्लास कम हो गया था।
किंतु इस बार मंदिर में श्रद्घालुओं की उपस्थिति के साथ इसे पूरे उल्लास से मनाए जाने की तैयारी की जा रही है। उत्सव के तहत भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे। नौ दिनों तक अवंतिकानाथ के विभिन्न रूपों में उनका श्रृंगार किया जाएगा।
विशिष्ट पूजन क्रम के चलते भोग आरती व संध्या पूजन का समय बदलेगा। महाशिवरात्रि पर एक मार्च को महानिशा काल में महाकाल की महापूजा होगी। दो मार्च को साल में एक बार दिन में होने वाली भस्म आरती दोपहर 12 बजे से होगी।
पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि शिव नवरात्र में सुबह आठ बजे नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन होगा। पश्चात कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर व रामेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन किया जाएगा। इसके बाद गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक-पूजन होगा तथा पुजारी घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मण रुद्र पाठ करेंगे। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे भोग आरती होगी।
दोपहर तीन बजे संध्या पूजन के बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। बता दें आम दिन भोग आरती प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे तथा शाम पांच बजे संध्या पूजा होती है।
पुजारी व भक्त रखेंगे नौ दिन उपवास
देवी भक्तों के लिए जिस प्रकार चैत्र व शारदीय नवरात्र विशेष होती है, उसी प्रकाश शिव भक्तों के लिए शिव नवरात्र विशेष है। इस दौरान शिव भक्त उपवास रखते हैं। महाकाल मंदिर के पुजारी भी 21 फरवरी से एक मार्च तक नौ दिन उपवास रखेंगे।
44 घंटे तक पट खुले रहेंगे
शिवनवरात्र के पहले दिन भगवान महाकाल को सोला (धोती), दुपट्टा व शीश पर चांदी का मुकुट धारण कराया जाएगा। निरंतर क्रम से भक्तों को भगवान के शेषनाग, मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर, शिव तांडव, उमा महेश, होल्कर, घटाटोप तथा सप्त धान मुखारविंद में दर्शन होंगे। महाशिवरात्रि के लिए 29 फरवरी की रात तीन बजे मंदिर के पट खुलेंगे। दो मार्च की रात 11 बजे तक निरंतर 44 घंटे तक मंदिर के पट खुले रहेंगे।