जिले के बदहाल रैन बसेरों को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका में गुरुवार को सुनवाई होना है। पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने रैन बसेरों का दौरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
इसमें कहा है कि जिले के ज्यादातर रैन बसेरों की हालत खराब है। किसी भी रैन बसेरे में कोई महिला नहीं मिली। रैन बसेरों में न सुरक्षा का इंतजाम है न सफाई का। हालत यह है कि वहां एक मिनट ठहरना भी मुश्किल है। किसी भी रैन बसेरे में सीसीटीवी कैमरे लगे नहीं मिले। सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन कहीं नहीं मिला। कोर्ट गुरुवार को इसी रिपोर्ट को लेकर बहस सुन सकती है।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका अंजली आनंद ने 2014 में एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के माध्यम से दायर की थी। इसमें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशानुसार हर एक लाख की जनसंख्या पर एक रैन बसेरा होना चाहिए। 2011 की जनसंख्या के हिसाब से इंदौर जिले में 32 रैन बसेरे बनाए जाने थे लेकिन सिर्फ 11 बनाए गए और वो भी बदहाल हैं। रैन बसेरा बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य ऐसे लोगों को बसेरा उपलब्ध कराना है जो सड़क पर जीवन गुजार रहे हैं, लेकिन रैन बसेरे सिर्फ यात्रियों के लिए बनकर रह गए हैं। इनमें भिक्षुओं को प्रवेश नहीं दिया जाता।
राज्य शासन ने इंदौर जिले में रैन बसेरा बनाने के लिए पांच करोड़ दो लाख रुपये स्वीकृत किए थे लेकिन इस रकम का क्या इस्तेमाल हुआ यह किसी को नहीं पता। रैन बसेरों में महिलाओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं रहता है। गुरुवार को इन्हीं मुद्दों को लेकर बहस होना है।