भूमि पुत्र मंगल 26 फरवरी को फाल्गुन कृष्ण एकादशी पर शनिवार के दिन मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल के मकर में प्रवेश इस राशि में पहले से विद्यमान बुध, शुक्र व शनि से चर्तुग्रही युति योग बनेगा।
इसका प्रभाव शेयर मार्केट में उछाल, सोने,चांदी व खड़ी फसल के भावों में वृद्धि के रूप में नजर आएगा। मंगल के राशि परिवर्तन के बाद आने वाले 40 दिन देश की अर्थ व्यवस्था के हिसाब से महत्वपूर्ण रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार मंगल को पराक्रम, प्रतिष्ठा, सेना, आयुद्ध तथा भूमि से प्राप्त धातुओं तथा फसलों का कारक ग्रह माना जाता है। भूमि पुत्र मंगल 26 फरवरी को राशि परिवर्तन कर मकर में प्रवेश करेंगे। इस राशि में पहले से ही मौजूद बुध, शुक्र व शनि से मंगल का चर्तुग्रही युति योग बनेगा। ग्रहों की यह युति अलग-अलग प्रभाव निर्मित करेगी। इससे आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। शेयर मार्केट में उछाल आएगा। सोना, चांदी, तेल, तिलहन, धान आदि के भावों में परिवर्तन होगा। बेशकीमती धातुओं के भाव में बढ़ोतरी भी संभव है।
शुक्र का केंद्र, शनि का शश व मंगल का रुचक योग बनेगा
मंगल ग्रह जिस समय राशि परिवर्तन करेगा उस समय की स्थिति से केंद्र की गणना करें तो मकर राशि पर शुक्र, शनि व मंगल का अलग-अलग प्रकार का संयोग बनेगा। शुक्र का केंद्र योग बनेगा, जो कि वर्गोत्तम की श्रेणी में आता है। इसके अलाश शनि का शश तथा मंगल के रुचक योग का निर्माण होगा। यह दोनों योग पंच महापुरुष योग की श्रेणी में आते हैं। इन्हें महायोग भी कहा जाता है।
महामंगल की जन्म स्थली उज्जैन
उज्जैन को मंगल ग्रह का जन्म स्थान कहा जाता है। मंगलनाथ व अंगारेश्वर महादेव के रूप में यहां भूमि पुत्र मंगल शिवलिंग रूप में विराजित है। जन्म पत्रिका में मंगल की विपरित स्थिति होने, मांगलिक कार्यों में आ रही बाधा को दूर करने के लिए इन दोनों स्थानों पर भातपूजा का विधान बताया गया है। भगवान मंगलनाथ के पंचामृत अभिषेक पूजन से भी लाभ होता है। कर्ज से मुक्ति के लिए ऋ णमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करने का विधान बताया गया है। इससे व्यक्ति को शीघ्र लाभ प्राप्त होता है। मंगल की कृपा प्राप्त करने के लिए लाल पुष्प,अनार,लाल वस्त्र, तांबा, गुड़, मसूर की दाल आदि के दान का विधान भी बताया गया है।