उत्तर प्रदेश में गरमाते चुनावी मौसम में भाजपा ने फायर ब्रांड नेत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती को भी उतार दिया है। उन्होंने मंगलवार को गाजियाबाद में लोनी विधानसभा क्षेत्र में सभा की।
उमा के मोर्चा संभालने से पार्टी की हिंदुत्व और ओबीसी कार्ड को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। राम मंदिर आंदोलन से लेकर गंगा स्वच्छता अभियान तक उमा का उत्तर प्रदेश से लगाव रहा है। गौरतलब है कि धार्मिक ध्रुवीकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद उमा भारती जैसा चेहरा बेहद मददगार साबित हो सकता है। योगी चुनाव को 80 बनाम 20 होने की बात कह चुके हैं। पार्टी का संदेश यह भी है कि हिंदुत्व की छतरी के नीचे सभी जातियों को साथ लेकर ही वह विकास के लिए कदम बढ़ा रही है।
पार्टी को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में तब भारी सफलता मिली थी, जब उसने गैर यादव ओबीसी वर्ग तैयार कर लिया था। इस वर्ग के लिए उमा भारती प्रमुख चेहरा हैं। अनुमान के मुताबिक ओबीसी उत्तर प्रदेश के कुल मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत हैं, जबकि गैरयादव ओबीसी राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 35 प्रतिशत हैं।
उमा का उत्तर प्रदेश से पुराना नाता : महोबा जिले की चरखारी सीट से उमा ने वर्ष 2012 में 25 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी, वहीं वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने झांसी सीट से एक लाख 90 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। साध्वी की हिंदुत्व के साथ ही जातिगत आधार पर भी उप्र के कई क्षेत्रों में जमीनी पकड़ है। पार्टी ने उन्हें पहले चरण के प्रचार अभियान के अंतिम दौर में उतार दिया है। उन्हें मप्र की सीमाओं से सटे क्षेत्रों में भी प्रचार का मौका दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश रवाना होने के पहले उन्होंने बांद्राभान (नर्मदापुरम) में मां नर्मदा का दर्शन-पूजन किया।